लखनऊ। लम्बे समय से धूम्रपान करने वालों को दांतों में इम्प्लांट अक्सर बेहतर रिजल्ट नहीं देता है। देखा गया है कि इसमें गुटखा खाने वालों से ज्यादा धूम्रपान करने वालों में इम्प्लांट फेलियर हो जाता है। डेंटल सर्जन्स इम्प्लांट करने से पहले मरीज का लगभग 15 दिन पहले धूम्रपान बंद कराये। उसके बाद लगभग चार महीने तक धूम्रपान कम करने को कहें या हो सके तो एक दम बंद करायें। तभी इम्प्लांट के परिणाम बेहतर होंगे। यह जानकारी प्रोस्थोडेंटिक्स विभाग के वरिष्ठ डा. लक्ष्य यादव ने दी।
वह शनिवार को प्रोस्थोडोंटिक्स विभाग की ओर से बेसिक टू एडवांस इम्प्लांटोलॉजी विषय पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार के दिन डेंटल सर्जन्स को संबोधित कर रहे थे। डा.यादव ने बताया कि हालांकि निकोटीन किसी प्रकार से शरीर के लिए हानिकारक है, लेकिन लम्बे समय तक सिगरेट व बीड़ी पीने वालों को फेफड़े की नहीं ,बल्कि इम्प्लांट के लिए हानिकारक होता है।
प्रोस्थोडेंटिक्स विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.पूरन चंद्र ने कहा कि दांत निकालने से ज्यादा आसान दांत इम्प्लांट करना आसान होता है। उन्होंने बताया कि दांत को निकालते समय नसों को सुन्न करना पड़ता है,वहीं इम्प्लांट में मसूढ़ों को सुन्न किया जाता है। जिससे दांतों की समस्या से जूझ रहे लोगों को बड़े शहरों को रुख न करना पड़े। उन्होंने बताया कि इम्प्लांट मौजूदा समय प्रदेश के कुछ शहरों में प्राइवेट क्लीनिक में ही किया जा रहा है। सरकारी संस्थानों में अभी केजीएमयू व बीएचयू में डेंटल सर्जन द्वारा किया जा रहा है। सेमिनार के दूसरे दिन गोरखपुर,बनारस,गाजियाबाद तथा नैनिताल से लगभग 100 डाक्टरों ने इम्प्लांट करने का प्रशिक्षण लिया। ओरल एण्ड मेग्जिलोफशियल सर्जरी विभाग के प्रो.यूएस.पाल ने भी इम्प्लांट करने की तकनीकी जानकारी दी।