लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डेंटल विभाग में अब यहां इंट्रा ओरलवेल्डिंग तकनीक भी शुरू हो गई है। इस तकनीक की खास बात यह है कि मरीज दांत लगवाने के तत्काल भोजन को चबा- चबा कर खा सकता है। इंट्रा ओरल वेल्डिंग तकनीक का प्रयोग में सिर्फ इंप्लांट का एक हजार रुपया जमा करना होता है। जल्दी और कम शुल्क के कारण यहीं नहीं विभिन्न प्रदेशों भी यहां आ रहे हैं। कुछ दिन पहले विदेश से भी तीन मरीज केजीएमयू पहुंचे है। विशेषज्ञों का दावा है कि प्रदेश में किसी भी डेंटल हास्पिटल में अभी तक यह तकनीक शुरू नहीं हुई है।
ओरल सर्जरी विभाग के डा. लक्ष्य कुमार यादव ने बताया कि अक्सर लोगों के दांत एक्सीडेंट के कारण व अथवा पायरिया या कुछ अन्य बीमारियों के कारण गिर जाते हैं। इसके लिए इंप्लांट लगाया जाता है। इनमें कुछ ऐसे भी मरीज आते हैं, पुरानी तकनीक से इंप्लांट लगाने में करीब छह माह का वक्त लगता था। इतना ही नहीं मरीजों को खाना खाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। इंप्लांट लगने के बाद कोई चीज चबाने से करीब दो माह तक बचाना पड़ता था। अब यहां इंट्रा ओरल वेल्डिंग तकनीक से इंप्लांट लगाए जा रहे हैं। इसकी खास बात यह है कि जिनकी हड्डी गायब हो जाती है। ऐसे लोगों में इंप्लांट लगाने में चार से पांच महीने इंतजार करना पड़ता है। इसके लिए पहले दांत को रोकने केलिए हड्डी तैयार की जाती है। इसके लिए आर्टिफिशियल बोन ग्राफ्ट डाला जाता है।
इसके सेट होने के बाद फिर दांत लगाए जाते हैं,परन्तु इस नयी तकनीक में आर्टिफिशियलबोन ग्राफ्ट लगाने के लिए ज्यादा समय नहीं लगता है। इसमें टाइटेनियम के ढांचे को फिट करके इंप्लांट लगा देते हैं। इसमें सबसे खास बात यह है कि नए लगने वाले दांतों और पहले से बचे हुए दांतों को आपस में जोड़कर एक यूनिट बना देते हैं। इसके कोई भी चीज चबाते वक्त सभी दांतों पर बराबर भार पड़ता है। इसका फायदा यह होता है कि सभी दांत बराबर काम करते हैं और ज्यादा मजबूत रहते हैं। डा. लक्ष्य ने बताया कि केजीएमयू की डेंटल विभाग में करीब तीन महीने पहले इंट्रा ओरल वेल्डिंग मशीन खरीदी है।करीब छह लाख की लागत से खरीदे गये इस उपकरण से अपने ही लैब में दांतों का फ्रेम बना लेते है।
वहां निकिल क्रोम बनकर आता रहा है। इस मशीन के आने से जो काम 20 घंटे में होता था, वह अब एक घंटे में हो जाता है। यह मशीन मरीज के आने पर तत्काल फ्रेम बना देती है। डा. लक्ष्य कुमार ने बताया कि इंट्रा ओरल वेल्डिंग तकनीक में इंप्लांट टाइटेनियम के लगाए जातेहैं। यह सबसे हल्के होते हैं, इसका फ्रेम हल्का होता है। ऐसे में मरीज को दिक्कत नहीं होतीहै।
उन्होने बताया कि इसके लिए विदेशी मरीज भी संपर्क कर रहे हैं। रियाद के तीन मरीज केजीएमयू के डेंटल यूनिट आये हैं। एक मरीज को लगा दिया गयाहै। जल्द ही दो को भी लगाया जाएगा। टीम में डा. लक्ष्य कुमार के साथ डा. यूएस पाल,डा. संजय, डा. अजित कुमार, डा. मयंक क ुमार आदि शामिल हैं।
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