लखनऊ। बढ़ती उम्र के साथ खराब लाइफ स्टाइल के चलते आर्थराइटिस होने की आशंका रहती है, लेकिन नियमित व्यायाम खान-पान से जोड़ो को ठीक रखा जा सकता है। आर्थराइटिस (गठिया) की बीमारी जोड़ों में दर्द आैर सूजन होने के कारण बनती है।
यह कई प्रकार की होती है। जिसमें आस्टियों आर्थ राइटिस, रूमेटाइड, फाइब्राोमायल्गि या चाइल्ड हुड के मामले ज्यादा मिलते है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय इलाज व सही फिजियोथेरेपी बचाव किया जा सकता है। इसके लक्षणों को नजर अंदाज किया जाए, तो ज्वाइंट के फक्शन के साथ आकार भी प्रभावित होने लगता है।
्
इस बीमारी में बहुत से लोगों को सुबह उठने के बाद शरीर में जकड़न का अहसास होता है। यह कुछ देर तो कोई बात नहीं है। अगर तीस मिनट से ज्यादा रहे तो गंिठया के संकेत हो सकता है।
केजीएमयू के वरिष्ठ आर्थोस्कोपी विशेषज्ञ डा. आशीष कुमार का कहना है कि आर्थराइटिस से बचाव के लिए शुरू में व्यायाम व खान पान में ध्यान रख कर इसकी दिक्कतों से बचा जा सकता है, लेकिन युवा वर्ग में आर्थराइटिस के कारण बढ़ती दिक्क त में सर्जरी से पहले आर्थोस्कोपी से मांसपेशियों की कोशिकाओं को ठीक किया जाता है। इसके बाद हाई टिबिअल ओस्टियोटॉमी तकनीक से घुटने को ठीक कर सकते है।
इस तकनीक से घुटने को लम्बे समय तक बदलने की आवश्यकता नहीं रहती है। आर्थ राइटिस फाउंडेशन आफ लखनऊ के प्रेसीडेंट संदीप गर्ग व सेक्रेटरी डा. संदीप कुमार ने संयुक्त रूप से कहा कि लोगों को जागरूक करने के लिए आर्थराइटिस डे पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। स्पोर्टस प्रतियोगिता, साइकिलिंग , जुम्बा के अलावा वॉक का भी आयोजन गोमती नगर के सेक्टर चार में किया गया है। डा. संदीप कपूर ने बताया कि व्यायाम न करना फास्ट फूड का सेवन के अलावा लगातार बढ़ते मोटापे के कारण भी आर्थराइटिस होने की पूरी संभावना रहती है।