लखनऊ। कहीं भी कभी भी व्यक्ति की अचानक मौत हो रही है। क्लीनिकल साइंस में इसे सडेन कार्डियक अरेस्ट कहते हैं। यह दिक्कत ज्यादा दुख, खुशी या अति उत्साह के कारण से होती है। इसमें मरीज की चंद सेकेंड में मौत हो जाती है। अगर समय पर कॉर्डियक पल्मोनरी रिससिटैशन (सीपीआर) दिया जाए, तो मरीज की जान बच सकती है।
यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के लॉरी कॉर्डियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ डॉ. ऋषि सेठी ने गोमतीनगर में हील फाउंडेशन की ओर से दिल की बढ़ती बीमारियों पर कार्यक्रम हुआ।
डॉ. सेठी ने कहा कि अगर स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों को देखा जाए तो विश्व में 80 प्रतिशत से ज्यादा मृत्यु नॉन कम्युनिकेबल डिसीस की कारण होती है। इसमें 25 से 30 प्रतिशत मौत का कारण हार्ट की बीमारी होता हैं। उन्होंने बताया कि कार्डियोवैस्कुलर डिसीसेस में हार्ट फेल्योर एक क्रॉनिक कंडीशन है। इसमें हार्ट की धमनियों को ब्लड पहुंचाने की क्षमता प्रभावित होती है। जोकि शरीर की कार्यप्रणाली को बाधित करती है। हार्ट फेल के सामान्य कारणों में से कोरोनरी आर्टरी डिजीज भी एक है, जबकि ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और मोटापा भी हार्ट के फेल होने की आशंका को बढ़ाता है।
डॉ. ऋषि ने बताया कि अत्याधिक उत्साह या दुख में एडनिरिल हार्मोन ज्यादा मात्रा में बनता है। इससे हार्ट बीट बढ़ जाती है। ऐसे में सडेन कार्डियक अरेस्ट किसी सामान्य इंसान को आ सकता है। उन्होंने बताया कि हार्ट में कंडक्शन सिस्टम होता है, जिसमें इलेक्ट्रिकल करंट एक से दूसरे जगह प्रवाहित होता है। इसकी वजह से हार्ट में सिकुड़न होती है। सामान्य सीक्वेंस में हार्ट बीट करता है। आमतौर पर एक मिनट में दिल की धड़कन एक मिनट में 72 बार धड़कता है। जब यह रेट 250-300 बीट प्रति मिनट हो जाती है। तो हार्ट इफेक्टिव तरीके से ब्लड पंप नहीं कर पाता है। ब्रोन में ब्लड सप्लाई न पहुंचने के कारण मौत हो जाती है। दिल्ली से आये दिलीप सिंह ने कहा कि हार्ट फेलियर एक गंभीर स्थिति है। देश में 25 प्रतिशत लोगों को ही समय पर सही दवा मिल पाती है। देश में हार्ट की बीमारी के कारण 1.6 लाख मरीज प्रति वर्ष दम तोड़ते है।