लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के लापरवाही से एक बुजुर्ग की मौत हो गयी। हुआ यू कि परिजन जब दिल का दौरा पड़ने के बाद मरीज को लॉरी कार्डियोलॉजी पहुंचे, तो यहां से मरीज को ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया। परिजनों का आरोप हैं कि ट्रॉमा सेंटर के डाक्टर दो कदम आगे निकले, मरीज की हालत को गंभीरता न लेते हुए ओपीडी में इलाज कराने की परामर्श दे दिया दी। परिजन गंभीर हालत में मरीज को लेकर दौड़भाग कर रहे थे कि तभी समय से सही इलाज न मिलने पर मरीज की मौत हो गई।
तालकटोरा के रहने वाले नफीस अहमद (70) को परिजनों के अनुसार बुधवार सुबह दिल का दौरा पड़ा। परिजन तत्काल मरीज को लेकर राजाजीपुरम स्थित आरएलबी अस्पताल पहुंचे। यहां इमरजेंसी में डॉक्टरों ने जांच के बाद मरीज को लॉरी कॉर्डियोलॉजी रेफर कर दिया। भागते हुए परिजन मरीज को लेकर सुबह दस बजे के आस-पास लॉरी कार्डियोलॉजी पहुंचे। लॉरी की इमरजेंसी में डॉक्टरों ने मरीज की जांच की आैर ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया। मरीज के परिजन गुलफाम का आरोप हैं कि ट्रॉमा कैजुअल्टी में डॉक्टरों ने मरीज को अनदेखा करते हुए जांच की आैपचारिता की। जब उनसे सही से जांच कराने की फरियाद की तो मरीज को ओपीडी भेज दिया। कैजुअल्टी में डाक्टरों ने परामर्श दिया कि ओपीडी में कमरा नम्बर 303 में जाए। परिजन मरीज को ओपीडी ले जाने के लिए स्ट्रेचर की तलाश करना पड़ा।
बड़ी मुश्किलों के बाद मरीज के लिए स्ट्रेचर मिला। गजब की बात यह थी कि ओपीडी के 303 कमरा नम्बर में डॉक्टरों ने मरीज को देखा आैर फि र 311 नम्बर कमरा भेज दिया। इलाज की उम्मीद में दौड़ते मरीज की हालत बिगड़ने आैर गंभीर हो गयी। ओपीडी डॉक्टरों ने मरीज की हालत गंभीर देखी तो फिर ट्रॉमा सेंटर भेज दिया। ट्रॉमा सेंटर में इलाज शुरू तब तक बुजुर्ग मरीज नफीस दम तोड़ चुके थे। ट्रामा सेंटर के प्रभारी डा. संदीप तिवारी का कहना है कि यहां पर मरीजों का काफी दबाव रहता है। कोशिश है कि सभी मरीजों को सही इलाज दिया जाए। इस मरीज की मौत हुई इस मामले का पता कराया जाएगा।
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