लखनऊ। अगर दांतों में किन्ही कारणों से रूट कैनाल ट्रीटमेंट (आरसीटी) कराया है। इसके बाद भी बीमारी समाप्त नहीं हुई है, तो चिंता न करें। नयी तकनीक की उपकरण से दोबारा और उच्चस्तरीय तरीके से रूट कैनाल इलाज किया जा सकेगा। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डेंटल यूनिट के कंजरवेटिव डेन्टिस्ट्री एवं एंडोडॉन्टिक्स विभाग प्रमुख व डीन डॉ. एपी टिक्कू ने सोमवार को डेटल यूनिट प्रेक्षागृह में अल्ट्रासोनिक इन एंडोडॉन्टिक्स तकनीक पर कार्यशाला में दी। कार्यशाला का उद्घाटन कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने किया।
डॉ. एपी टिक्कू ने कहा कि देखा गया है कि कई बार दांतों में आरसीटी फेल हो जाती है। ऐसे में डॉक्टरों को दांत उखाड़ते पड़ते हैं, लेकिन अब दांतों को बचाया जा सकेगा।
पुणे स्थित एमए रंगूनवाला डेन्टल कॉलेज के उप प्राचार्य डॉ. विवेक हेगड़े ने कहा कि अल्ट्रसोनिक मशीन में कंपन होता है। ऐसे में जिन मरीजों में आरसीटी फेल हो जाती है, उनमें दोबारा करना आसान होता है। बीमारी से प्रभावित दांत में एक विशेष प्रकार का केमिकल डाल देते हैं, फिर उपकरण के माध्यम से दांत की सफाई करते हैं। इस दौरान कंपन होने से बैक्टीरिया या दूसरी गंदगी बाहर आ जाती है। इससे पूर्व में की गई आरसीटी का मैटेरियल भी आसानी से निकल जाता है।
डॉ. रमेश भारती ने बताया कि कई बार आरसीटी करते वक्त निडिल टूट जाती है, उसे निकालना बहुत कठिन हो जाता है। नयी तकनीक की अल्ट्रासोनिक मशीन से टूटी निडिल को आसानी से बाहर निकाला जा सकता है। इस दौरान दांतों को बहुत अधिक काटने की भी जरूरत नहीं पड़ती है।
कार्यशाला का शुभारंभ कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने किया। कुलपति ने विभाग के प्रयासों की सराहना की और व्यावहारिक प्रशिक्षण के महत्व देना चाहिए।