मरीज़ अगर लाइलाज है तो संगीत भी दे सकती है, बेहतर जिंदगी

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एरा में पैलिटीव केअर पर विशेषज्ञों ने किया मंथन
देश मे 80 प्रतिशत कैंसर मरीज गंभीर

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लखनऊ। मरीज अगर लाइलाज है, डॉक्टर ने जवाब दे दिया है, इस सूरत में अस्पताल पर बोझ डालने के बजाए पैलिटीव केअर के जरिये मरीज को बेहतर जिंदगी दी जा सकती है। जिसमे संगीत सहित विभिन्न पद्धति शामिल है। मंगलवार को एरा यूनिवर्सिटी में एरा लखनऊ मेडिकल कॉलेज और कैंसर ऐड सोसाइटी की ओर से आयोजित दो दिवसीय चौथी अन्तरष्ट्रीय कांफ्रेंस ऑफ नेशनल एसोसिएशन ऑफ पैलिटीव
केअर फ़ॉर आयुष एंड मेडिसिन में देश विदेश से आये विशेषज्ञों ने पॉलिटीव केअर पर अपनी बात रखी।

इस मौके पर साहे यूनिवर्सिटी तुमकुर कर्नाटक के कुलपति डॉ केबी लिंगेगोड़ा ने कहा कि पॉलिटीव मरीजो को अस्पताल में भर्ती करा कर बेवजह पैसा खर्च या हॉस्पिटल पर भार बढ़ाने के बजाय सेल्फ केअर से भी मरीज के जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है। एरा यूनिवर्सिटी के अतिरिक्त निदेशक जॉव अली खान ने कहा कि मरीज के शरीर के पोषण तत्वों को कमी का पता लगाकर उसकी पूर्ति के माध्यम से उसे बेहतर किया जा सकता है।

एरा मेडिकल कॉलेज के रेडियोथेरैपी विभाग की प्रमुख डॉ तरूणा सिंह ने बताया कि हमारे देश के कैंसर के 80 प्रतिशत मरीज पॉलिटीव केअर के है, जिनके उपचार के लिए सिर्फ 2 प्रतिषत व्यवस्था है। इस कार्यक्रम का मकसद लोगो को जागरूक करना है कि हॉस्पिटल ऐसे गंभीर मरीजो को पॉलिटीव केअर के माध्यम से सिर्फ बेहतर बना सकता है सही नही कर सकता है। लोगो को जागरूक करना कि डॉक्टर की सलाह पर लोग अपने घर पर भी ऐसे गंभीर मरीजो की केअर कर सकते है।

सोसाइटी के आयोजक सचिव डॉ मुस्तहसिन मालिक ने बताया कि पॉलिटीव केअर में मरीजो का काफी ध्यान रखना पड़ता है, उन्हें दूसरी समस्या होने की संभावना अधिक होती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से लोगो को जागरूक किया गया है कि लोग कैसे अपने मरीज का ध्यान रखे। हरिद्वार से आयी डॉ उषा जयसवाल ने बताया कि संगीत के माध्य्म से भी पॉलिटीव केअर हो सकता है। क्लासिकल म्यूजिक और इंस्टूमेंटल म्यूजिक इसमे काफी कारगर साबित हुआ है।डॉ राकेश जयसवाल ने बताया कि आत्मबोध के माध्यम से शरीर के पांचों तत्वों को बेहतर किया जा सकता है।

इसी तरह होम्योपैथ, नेचरोपैथी, आयुर्वेद, आयुष के माध्य्म से पॉलिटीव केअर पर विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी। सेमिनार का उद्घाटन एरा यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर अब्बास अली मेहदी ने किया।

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