लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पीडियाड्रिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डा. एसएन कुरील ने लिंग में होने वाली हाइपोपैडियाज नामक बीमारी का सफल सर्जरी किया है। इस सर्जरी के बाद डा. कुरील ने विश्वपटल पर केजीएमयू का नाम की पताका लहरा दिया है। डा. कुरील ने मेंदांता हॉस्पिटल में 16 वर्षीय किशोर के हाइपोपैडियाज की सर्जरी फेल होने के बाद दोबारा सर्जरी की सफलता में मुकाम पा लिया है।
पत्रकार वार्ता में डा. कुरील ने बताया कि देहरादून निवासी मेहरोत्रा परिवार के 16 वर्षीय किशोर के जन्मजात हाइपोपैडियाज बीमारी से पीड़ित था। आठ वर्ष की उम्र में पीडियाट्रिक सर्जन ने जांच करके जटिल सर्जरी बताते हुए इसके फेल होन की आशंका ज्यादा बतायी थी। परिजनों के अनुसार किशोर को आर्मी के तकनीकी विभाग में मेडिकल परीक्षा में असफलता मिली। इसके बाद किशोर को अक्टूबर 2016 में मेदांता हास्पिटल सर्जरी कराने पहुंचे। यहां पर हाइपोपैडियाज बीमारी की सर्जरी के लिए एक लाख 25 हजार रुपये खर्च हुए लेकिन यहां पर सर्जरी फेल हो गयी।
डा. कुरील बताते है कि मेदांता के सर्जन ने किशोर के परिजनों को खुद सर्जरी के लिए मेरे पास रेफर कर दिया। यहां पर डा. कुरील ने 28 फरवरी को मरीज को भर्ती करा कर जांच पड़ताल की आैर दो मार्च को सर्जरी कर दी। यहां पर सर्जरी सफल हो गयी आैर अब किशोर पूरी तरह से स्वस्थ है। पत्रकार वार्ता में डा. कुरील ने बताया कि वर्ष 2015 में उनकी शोध पत्र इंटरनेशनल जर्नल यूरोलाजी गोल्ड में प्रकाशित हुए थे। डा. कुरील ने बताया कि हाइपोपैडियाज बीमारी में पेनिश के ग्लांस पर यूरीन करने का रास्ता सामान्य जगह से खुला नही होता है। इसके कारण पेशाब नीचे गिरता है। इस बीमारी के कारण सेक्स करने में भी असफलता मिलती है। उन्होंने मूत्र त्याग करने के छेद को सही दिशा देते हुए ग्लांस के ऊपर रक्तवांिहकाओं को एक विशेष प्रकार से सही तरीके से ठीक किया जाता है।
इसके कारण सर्जरी की सफलता दर 100 प्रतिशत बढ़ गयी। सर्जरी में रक्त वाहिकाओं को सर्जरी में विशेष प्रकार से सही किया जाता है। उन्होंने बताया कि सर्जरी के बाद मरीज के लिंग के ग्लंास पर छेद सही हो गया है आैर सामान्य तरीके से यूरीन कर सकता है। डा. एस एन कुरील ने बताया कि शोध में पाया गया है कि हाइपोपैडियाज बीमारी बच्चों में महिलाओं को गर्भवस्था के दौरान ही हो जाती है। अगर शोध को देखा जाए तो कोल्ड ड्रिंक पैक फूड और सब्जियों में पाये जाना वाला कीटनाशक हैं। उन्होंने बताया कि शोध में भी यह भी कारण पाया गया है कि अगर महिला लगातार गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती है तो यह भी बीमारी हो सकती है।