लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में गंभीर रूप से जले हुए मरीजों का इलाज अब आसान हो गया है। शनिवार को यहां प्लास्टिक सर्जरी विभाग की हाइपर बैरिक ऑक्सीजन थेरेपी यूनिट में मरीजों के लिए शुरू हो गयी। इस यूनिट में उपकरणों के माध्यम से बर्न के मरीज के शरीर के सभी अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन सप्लाई की जाती है। जिन अंगों में ऑक्सीजन पहुंचने में दिक्कत आती है, इस तकनीक के प्रयोग से वहां यह आराम से पहुंचती है।
बताते चले कि प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री अशुतोष टण्डन ने पांच मार्च को अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में इस यूनिट का शुभारम्भ किया था। कार्यक्रम में प्लास्टिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एके सिंह ने बताया कि कि इस तकनीक में हाई प्रेशर में ऑक्सीजन शरीर में प्रवेश करवाई जाती है। ऐसा तब किया जाता है जब दवाओं का असर जब कम हो रहा होता है।
आमतौर पर ज्यादा जले हुए मरीजों के घाव भरने में दिक्कत आती है और कई बार उन्हें इससे काफी दिक्कत भी आती है, लेकिन इस मशीन से मरीज के घाव जल्द भरेंगे। कुलपति प्रो. एमएलबी भटट् ने प्लास्टिक सर्जरी विभाग की हाइपर बैरिक ऑक्सीजन यूनिट का संचालन से बर्न के मरीजों का इलाज में लाभ पहुचेंगा। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक सर्जरी विभाग में उच्चस्तरीय तकनीक से इलाज किया जाता है। यहां पर सर्जरी कराने के लिए गैर जनपदों से भी आ रहे है।
इस थेरेपी में ऐसे होता है उपचार –
इस हाइपर बेरिक ऑक्सीजन थेरेपी में मरीज को एक विशेष प्रकार के चैम्बर में एक टेबल पर लिटाया जाता है और फिर इसमें ऑक्सीजन की सप्लाई की जाती है, जिससे मरीज श्वसन होने लगती है। विशेषज्ञ डाक्टर की देख – रेख में चैम्बर में ऑक्सीजन का दबाव धीरे-धीरे बढ़ा दिया जाता है। इस थेरेपी से जब मरीज के शरीर में 100 प्रतिशत ऑक्सीजन पहुंचने लगती है, तो शरीर की प्राकृतिक उपचार प्रक्रिया को बढ़ाने लगती है आैर आंतरिक घाव को जल्द भरने लगता है।
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