लखनऊ। मुख कैंसर पर अगर शुरुआती दौर में ही ध्यान दे दिया जाए आैर लापरवाही न बरती जाए तो कैंसर से बचा जा सकता है। लॉकडाउन के दौरान मुख कैंसर के प्रति जागरूकता के लिए हेल्पलाइन से लेकर बेवसाइट के माध्यम से अभी तक हजारों लोगों इलाज का परामर्श देकर कैंसर से बचाने में मदद की है। यही नहीं मुख कैंसर की चपेट में आ चुके लोगों का सही इलाज भी किया गया है।
kgmu के दंत संकाय यूनिट स्थित मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग के वरिष्ठ डा. यूएस पाल ने बताया कि लाकडाउन में लोग ओपीडी में नहीं पहुंच सकते थे। ऐसे में लोगों को मुख कैंसर प्रति जागरूक करके के लिए उन्होंने व्हाटसअप, फेसबुक के साथ ही बेवसाइट के माध्यम से परामर्श देना शुरू किया। उन्होंने बताया कि वह बेवसाइट पर तो लोगों को दो वर्षो से जागरूक के साथ ही कैंसर के इलाज के लिए मदद कर रहे है। डा. यूएस पाल ने बताया कि मुखकैंसर होने से पहले ही गुटखा खाने वालों को चेतावनी देने लगता है। इस दौरान अगर मरीज साधवान हो जाता है आैर विशेषज्ञ डाक्टर से इलाज कराने लगता है तो किसी हद तक मुख कैंसर से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि मुखकैंसर में सबसे पहले गुटखा का सेवन करने वालों में सब म्यूकस फाइब्राोसिस बनने लगता है। इसके लक्षण में मुख के अंदर की लालिमा समाप्त होने लगती है आैर सब्जी तथा मसालेदार व्यजन का सेवन करने से जलन होती है। इसके बाद मुख का खुलना कम हो जाता है आैर मुंह बंद होने लगता है। उन्होंने बताया इसके बाद ही मुख कैंसर शुरू होने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। इस दौरान ही सही इलाज हो जाए, तो मुख कैंसर से बचा जा सकता है।