श्रद्धालुओं ने अनुभव की दिव्यता
महायज्ञ एवं देवी कुष्मांडा की महिमा
बालपुर/गोंडा। श्री मद भगवद फ़ाउण्डेशन एवम् नारायण बाल विद्या मन्दिर द्वारा आयोजित शिवा नगर सोनहरा दक्षिणी धाम में संपन्न रूद्र चंडी महायज्ञ एवं श्रीमद् देवी भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ के चतुर्थ दिवस को श्रद्धा एवं भक्तिभाव से मनाया गया। इस पावन अवसर पर डॉ. कौशलेंद्र महाराज ने चैत्र नवरात्र के आध्यात्मिक रहस्य को उजागर किया।
उन्होंने कहा कि चैत्र नवरात्र केवल नौ दिनों का पर्व नहीं है, बल्कि इसे नव स्वरूप में चराचर जगत में देखना चाहिए। मनुष्य अपने नव द्वारों—दो नेत्र, दो कान, दो नासिका छिद्र, मुख और दो गुप्त मार्ग को शुद्ध कर परम तत्व की प्राप्ति कर सकता है। यही नवरात्र का गूढ़ संदेश है। उन्होंने आगे देवी भागवत महापुराण की महिमा का विस्तारपूर्वक वर्णन किया और बताया कि यह ग्रंथ केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, अपितु मानव जीवन के समस्त पहलुओं को प्रकाशित करने वाला पथ-प्रदर्शक है। यह हमें धर्म, भक्ति और ज्ञान का संदेश प्रदान करता है। उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे इस अमूल्य ग्रंथ से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को सत्य, सेवा और संस्कारों से परिपूर्ण करें.
महायज्ञ के चतुर्थ दिवस पर मुख्य यज्ञाचार्य ज्योतिष गुरू पंडित अतुल शास्त्री ने विधि पूर्वक पूजन-अर्चन किया। इस अवसर पर उन्होंने देवी कुष्मांडा की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि उनका नाम ‘कुष्मांडा’ दो शब्दों से मिलकर बना है—’कु’ यानी छोटा, ‘ष्मांडा’ यानी अंड, अर्थात् सूक्ष्म अंड। यह देवी ब्रह्मांड के निर्माण की अधिष्ठात्री शक्ति हैं, जो एक सूक्ष्म अंड के रूप में सृष्टि की उत्पत्ति करती हैं और चराचर जगत को विस्तार देती हैं।
उन्होंने बताया कि कुष्मांडा देवी पूजन से जीवन में सुख-समृद्धि एवं आरोग्यता की प्राप्ति होती है। महायज्ञ में इसकी विशेष भूमिका होती है, जिससे संपूर्ण वातावरण सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। उन्होंने कहा कि यज्ञ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक प्रक्रिया भी है, जिससे पर्यावरण शुद्ध होता है और आध्यात्मिक चेतना का विस्तार होता है।
यज्ञ मंडप में मंत्रोच्चार, आहुति और भक्तिमय वातावरण से संपूर्ण क्षेत्र गूंजायमान हो उठा। इस अवसर पर विद्वान आचार्यों एवं पंडितों द्वारा वैदिक ऋचाओं के माध्यम से वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत किया गया। श्रद्धालुओं ने इस दिव्य अनुभूति को आत्मसात करते हुए यज्ञ में बढ़-चढ़कर भाग लिया।
इस पावन अवसर पर भवानी फैर, तिवारी, पंकज तिवारी, सूरज शुक्ला, पंकज शुक्ला, विवेक पाण्डेय, बिष्णु शुक्ला, अनिल अंजनी, बिकास आदि सैकड़ों ग्रामीण एवं शहरी श्रद्धालु उपस्थित रहे। सभी ने यज्ञ की महत्ता को आत्मसात कर जीवन में धर्म, भक्ति और संस्कारों के संकल्प को धारण किया।