जटिल सर्जरी से कटे हाथ जोड़,यह होने से बचाया

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने कलाई से दो मरीजों के कटे हाथ जटिल सर्जरी कर जोड़ने में सफलता हासिल की है। डाक्टरों के अनुसार वेल्डिंग कम्प्रेसर फटने से एक मरीज की कलाई हाथ से अलग हो गयी थी, जबकि दूसरे मरीज की चारा काटने की मशीन से बाएं हाथ की कलाई कट कर अलग हो गयी थी। सर्जरी के चौदह दिनों के बाद उनके ठीक होने पर डिस्चार्ज कर दिया गया है।

 

 

 

प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉ. बृजेश मिश्र ने बताया तीन मार्च को कैसरबाग निवासी (58) फुरकान की बाएं हाथ की कलाई वेल्डिंग कम्प्रेसर के फटने से अलग हो गई थी। परिजन हाथ से कटे भाग को कपड़े में लपेट कर ठंडे कंटेनर में रखकर ट्रॉमा सेटर पहंुचे। इमरजेंसी में विशेषज्ञ डाक्टरों ने तत्काल मरीज के कटे हुऐ अंग की जांच की। डॉक्टरों ने मरीज को प्लास्टिक सर्जरी विभाग में रेफर कर दिया। वहां भी मरीज की जांच की गयी। डॉक्टरों ने तुरंत सर्जरी करने का निर्णय लेते हुुए मरीज के कटे हुऐ हाथ की कलाई को फिर से जोड़ने के लिए सर्जरी शुरू की। लगभग छह घंटे के जटिल सर्जरी के बाद मरीज का कलाई से कटा हाथ जोड़ने में सफलता मिल गयी। डा. बृजेश ने बताया कि लगातार डाक्टरों की देखरेफ 14 दिनों के बाद मरीज के कटे हुए हिस्से में पिन चुभने पर ताजा रक्त प्रभाव हो रहा है। जिसके बाद मरीज को डिस्चार्ज कर दिया दे दी गयी है। डा. बृजेश ने बताया कि गोंडा निवासी मरियम (7) नौ मार्च को मशीन में चारा काटने के दौरान अचानक बाएं हाथ की कलाई चारा काटने की मशीन से कट गया आैर तेज खून बहने लगा। परिजन बेहाल हो गये। तेज खून बहने के कारण मरियम बेहोश होने लगी। अधिक ब्लीडिंग को देखते हुए परिजनों ने हाथ घाव को कपड़े से बांध दिया। एम्बुलेंस से मरीज को लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। यहां से जांच के बाद मरीज को प्लास्टिक सर्जरी विभाग रेफर कर दिया गया।

 

 

 

डॉ. बृजेश का कहना है कि इस प्रकरण में भी डॉक्टरों की टीम ने जटिल सर्जरी करके हाथ को कलाई को जोड़ दिया। इस जटिल सर्जरी में करीब पांच घंटे का समय लगा। सर्जरी के कुछ दिनों के बाद मरीज का हाथ सामान्य क्रिया कर रहा था। जांच पड़ताल के बाद मरीज को छुट्टी दे दी गयी।

 

 

दोनों सर्जरी करने वाली टीम में डॉ. बृजेश मिश्रा के अलावा डॉ. रवि कुमार, डॉ. किरन सिलवाल, डॉ. नीलम चौहान, डॉ. सौरभ माहेंद्रू, डॉ. प्राची, डॉ. हर्ष राव और एनस्थीसिया विभाग के डॉ. मनीष कुमार सिंह, डॉ. शशांक कनौजिया मौजूद थे।

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