जेनेरिक क्लीनिक उपकरणों के बारे में सोचने की जरूरत : डॉ भार्गव

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लखनऊ। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने कहा है कि जिस तरह देश ने जेनेरिक मेडिसिन के क्षेत्र में प्रगति की है, उसी प्रकार जेनेरिक क्लीनिक उपकरणों के बारे में भी विचार करने की आवश्यकता है। ऐसे उपकरण जो हमारे यहां की चिकित्सा प्रणाली के हिसाब से हों, कम दाम के हों और आयात पर निर्भरता कम कर सकें।

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डॉ. भार्गव ने यहॉ जारी चार दिवसीय भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान मेले के तीसरे दिन स्वास्थ्य सम्मेलन के एक सत्र को संबोधित करते हुये कहा क्या हम जेनेरिक चिकित्सा उपकरणों के बारे में सोच सकते हैं। हमारी जरूरत गॉधीवादी और एडिसन वादी के बीच की सोच रखना है जिससे लोगों को भी फायदा हो उद्योग भी थोडा बहुत मुनाफा कमा सकें।

चिकित्सा उपकरणों को भारतीय जरूरतों के हिसाब से तैयार करने की वकालत करते हुये उन्होने कहा कि इसके लिए डॉक्टरों, इंजीनियरों और सर्जनों को मिलकर काम करना चाहिये। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में दो साल तक चिकित्सकों ने इंजीनियरों के साथ मिलकर काम किया। परिणाम यह हुआ कि वर्ष 2008 से 2017 के बीच एम्स ने 13 नये देसी चिकित्सा उपकरण तैयार किये, 125 नवाचारियों को प्रशिक्षित किया गया और 11 स्टार्टअप कंपनियॉ बनीं।

डॉ भार्गव ने बताया कि देश में 80 प्रतिशत चिकित्सा उपकरण और डिस्पोजेबल आयात किये जाते हैं। इनमें ज्यादातर आपातकालीन सेवाओं के लिए होता है, लेकिन इनके महॅगे होने के कारण इसका लाभ 20 प्रतिशत आबादी को मिल पाता है। हमारी जरूरत शेष 80 प्रतिशत आबादी की जरूरत के हिसाब से नये नये और सस्ते उपकरण विकसित करने की है।
उन्होंने कहा कि अकेले अकेले काम करने की प्रवरिति से निकलकर चिकित्सकों और इंजीनियरों को मिलकर काम करना होगा।

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