लखनऊ । पीजीआई में विशेषज्ञों ने कहा कि हर गर्भवती महिला में थारायइड की जांच होनी चाहिए। 90 फीसदी महिलाओं में जांच सामान्य आती है लेकिन 10 फीसदी में टीएसएच हारमोन का स्तर बढ़ा होता है। इस हारमोन का स्तर बढ़ने से गर्भस्थ शिशु के दिमाग का विकास प्रभावित होता है। शनिवार को पीजीआइ में तीन दिवसीय पोस्ट ग्रेजुएट एनेस्थिसिया रिफ्रेश कोर्स के दूसरे दिन देहरादून के हिमालय इंस्टीट्यूट के डा. संजय अग्रवाल ने कहा कि अगर थायराइड की दवा का सेवन करते हैं और थायराइड ग्रंथि (घेंघा) या शरीर में अन्य कोई सर्जरी करानी हो, एनेस्थेटिक चिकित्सक से प्री-एनेस्थेटिक चेकअप (पीएसी)जरूर कराएं। मरीज खुद एनेस्थेटिक से भौतिक रूप से मिलना चाहिये। क्योंकि हार्मोन लेवल अनियंत्रित होने पर थायराइस्ट्रांम व अन्य जानलेवा खतरों की संभावना होती है।
पीजीआई में रिफ्रेश कोर्स का दूसरा दिन –
संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के मिनी आडोटोरियम में आयोजित प्रशिक्षण कोर्स में, थायराइड रोगियों की सर्जरी पूर्व तैयारी के संबन्ध में डा.अग्रवाल ने बताया कि थायराइड दो प्रकार का होता है, हाइपो थायराइडिज्म आयोडीन की कमी से होता है जबकि थायराक्सिन हार्मोन की कमी से हाइपर थायराइडिज्म होता है। ऐसे मरीजों में सर्जरी के दौरान बहुत ातरा होता है। सर्जरी पूर्व इन मरीजों में दवाओं से हार्मोन लेवल को नियंत्रित किया जाता है, लेवल नियंत्रण में कम से कम चार ह ते का समय लगता है। हार्मोन लेवल अनियंत्रित होने से इन मरीजों बेहोशी की दवा देने के दुष्प्रभाव पड़ते हैं। इसके अलावा घेंघा सर्जरी के दौरान श्वास तंत्रिका का विशेष याल र ाना पड़ता है। क्योंकि थायराइड ग्रंथि, श्वास नली के अत्यंत समीप होती है और जरा सी असावधानी एअरवेज मैनेजमेंट को बिगाड़ सकती है।
पीजीआई में रिफ्रेश कोर्स को सम्बोधित करते हुए डा. संदीप साहू ने बताया कि बेन डेड घोषित होने के बाद लिवर, हार्ट, किडनी, फेफड़ा आदि अन्य अंगों को सुरक्षित निकालने के लिए मरीज में आक्सीजन लेवल व बीपी को नियंत्रित किया जाता है। बेन डेड के बाद दो से चार घंटे तक कृत्रिम रूप से हार्ट चलाया जा सकता है, अन्यथा आक्सीजन के अभाव में अंग निष्क्रिय हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि आक्सीजन के अभाव में अंग के सेल डेड हो जाते है और अंग निष्प्रियोज्य हो सकता है। इसके अलावा अंग को निकालने के बाद विशेष प्रकार के दृव्य में रखा जाता है ताकि उसके सेल जीवित रहें, प्रत्यारोपण के बाद अंगों की सुरक्षा के लिए वेंटीलेटर यूनिट में क्रि टिकल केयर जरूरी है। उन्होंने बताया कि हार्ट निकालने के बाद चार घंटे में प्रत्यारोपित हो जाना चाहिये। इसके अलावा लिवर छह घंटे, किडनी 12 घंटे में प्रत्यारोपित हो जानी चाहिये।