न्यूज डेस्क। डॉक्टरों के अनुसार यह देश का भी पहला केस होगा जिसमें कन्जनाइट सोलिट्री (जन्मजात एक किडनी) वाले मरीज का सफल लिवर ट्रांसप्लांट हुआ है। यह प्रत्यारोपण छत्तीसगढ़ में पहली बार लिवर प्रत्यारोपण करने का सर्जरी यहां की राजधानी रायपुर के श्री बालाजी अस्पताल में सफल हुआ है।
श्री बालाजी सुपर स्पेश्यालिटी अस्पताल के संचालक डॉ देवेंद्र नायक का दावा है कि पिछले सात- आठ वर्ष से लिवर की परेशानी छत्तीसगढ़ आम्र्स फोर्स की 10वीं बटालियन में ट्रेड कांस्टेबल के पद पर पदस्थ अंबिकापुर निवासी 45 वर्षीय सुदामा वर्मा झेल रहे थे। उन्हें उनकी पत्नी छटनी देवी ने लिवर का हिस्सा देकर कर उनकी जान बचाई है। प्रत्यारोपण में चालीस डॉक्टरों की टीम ने लगभग 20 घंटे तक चले इस ऑपरेशन के बाद मरीज की 336 घंटे लगातार निगरानी और देखभाल कर सफल इलाज किया है।
उन्होंने बताया कि यह लिवर ट्रांसप्लांट का यह पहला ऐसा मामला है जो छत्तीसगढ़ में हुआ है। वहीं यह देश का भी पहला केस होगा, जिसमें कन्जनाइट सोलिट्री वाले मरीज का सफल लिवर ट्रांसप्लांट हुआ है। प्रत्यारोपण करने वाली टीम के प्रमुख डॉ बाला चंद्रन मेमन, डॉ.देवेन्द्र नायक और डॉ पुष्पेन्द्र नायक ने बताया कि दानदाता से लिवर का हिस्सा निकालने का ऑपरेशन सुबह साढ़े 6 बजे शुरू हुआ, जो देर रात करीब 2 बजे तक चला। जैसे ही यह हिस्सा निकाला गया, उसे तुरंत दूसरे ऑपरेशन थियटर में श्री वर्मा के पास ले जाया गया। वहां रात्रि करीब 8 बजे ऑपरेशन शुरू किया गया, जो मध्यरात्रि ढाई बजे तक कम्पीलीट हुआ। ऑपरेशन सफल रहा।
डॉक्टरों का कहना है कि दान करने वाले व्यक्ति का लिवर 3 से 6 सप्ताह में दोबारा सामान्य आकार का हो जाएगा। लिवर शरीर का ऐसा अंग है, जिसका आकार बढ़ता रहता है। ऑपरेशन के बाद मरीज पहले की तरह जीवन-यापन कर सकता है।
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