फिर खास फर्म को टेंडर देने का आरोप

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लखनऊ। ड्रग कारपोरेशन में एक बार फिर करोड़ों रुपए का टेंडर कुछ अधिकारियों की चहेती एक खास फर्म को देने की कवायद करने का आरोप लगा है। बताते है कि चार बार टेंडर प्रक्रिया कराई गई। कई बड़ी कंपनियां टेंडर प्रक्रिया में शामिल हुई, जिनमें कुछ न कुछ कमी निकाल दिया गया। पांचवीं बार के टेंडर में अपनी खास फर्म को एकल टेंडर में शामिल करके काम की तैयारी है। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री के अलावा स्वास्थ्य मंत्री से की गयी, तो मामले की जांच के आदेश हो गये। हालांकि जिम्मेदार अधिकारियों ने ही मामले को दबा रखा है।

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प्रदेश के 34 जिला अस्पतालों की मदर एंड चाइल्ड हेल्थ विंग के लिए 500 मल्टी पैरा मॉनिटर विद सीएनएस की खरीद- फरोख्त होना था। इसके लिए शासन से लगभग 15 करोड़ रुपए का बजट भी आवंटित किया जा चुका था। आरोप है कि ड्रग कारपोरेशन के जिम्मेदार अधिकारियों ने उपकरणों की खरीद के लिए चार बार टेंडर प्रक्रिया करा दी । इस टेंडर में बड़ी-बड़ी नामचीन कंपनियों ने भाग लिया। सभी कंपनियों के चार बार में तकनीकी खामियां निकालकर उन्हें बाहर कर दिया, जबकि पांचवीं बार में अपनी चहेती फर्म को अकेले ही टेंडर में शामिल करके उसे फाइनल कर दिया गया। इस पर नाराज शिकायत सीएम से लेकर स्वास्थ्य मंत्री तक की गयी। सभी साक्ष्य भी मुहैया कराए गए हैं। मामले की जांच के आदेश दिए गए। आरोप है कि अफसरों ने जोड़ तोड़ करके मामले को दबा गये है। अब बताया जाता है कि चहेती फर्म को उपकरणों की सप्लाई करने का टेंडर देने की कवायद शुरू की गयी।

शिकायती पत्र में कई बड़ी कंपनियों ने आरोप लगाया है कि जिस कंपनी को उपकरण की खरीद फरोख्त का जिम्मेदारी देने की तैयारी की गई है। वह फर्म उपकरण तीन लाख रुपए में आपूर्ति करने जा रही है, जब कि उसकी कीमत कम है। कॉरपोरेशन के कुछ अधिकारियों और उनकी पसंदीदा कंपनियों के बीच सांठगांठ के चलते यह खेल हो रहा है।
आरोप है कि कंपनी को पहले की गई निविदा में तकनीकी मानकों को पूर्ण न करने पर तकनीकी परीक्षण टीम ने फेल कर दिया गया था, परन्तु दोबारा की गई निविदा में उसी तकनीकी मानक पर पसंदीदा कंपनी के उसी मॉडल को अपने सांठगांठ वाली टीम को गठित कर पास कर दिया जाता है। मानना है कि कंपनी एकल प्रतिभागी है और जिसके दर का मूल्यांकन इतनी बड़ी निविदा में नहीं किया जा सकता है। फिर भी उसे खरीदने की तैयारी कर ली गई है !

इस बारे में कारपोरेशन की निदेशक श्रुति सिंह का कहना है कि टेंडर प्रक्रिया के बारे में टेक्नीकल स्टॉफ से जानकारी लेने बाद ही कुछ बता सकतेहै। बिना फाइल देखे अभी कुछ नहीं बताया जा सकता है। शासन स्तर पर शिकायत लंबित है, अगर जांच में मामला सही निकला तो शासन टेंडर प्रक्रिया को निरस्त कराएगा।

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