फिर भी 90 प्रतिशत आबादी में विटामिन डी की कमी

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लखनऊ। अमेरिकन कालेज ऑफ फिजिशयन (एसीपी) इंडिया का चैप्टर सम्मेलन में दूसरे दिन उद्घाटन किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. एम.एल.बी. भट्ट ने किया। उन्होंने कहा कि बीमारियों को जीवन शैली में बदलाव कर दूर कर सकते है। फिर भी भारत की 90 प्रतिशत आबादी विटामिन डी की कमी से जूझ रही है, जिसे हम साल में 40 दिन, 40 मिनट शरीर के 40 प्रतिशत अंगो को सूर्य की धूप में खुला रख कर दूर कर सकते है। इस अवसर पर विशिष्ट प्रो. थामस कुनी उपस्थित रहे। सम्मेलन में एम्स नयी दिल्ली के डा. रनदीप गुलेरिया प्रदूषण से होने वाली बीमारियों की जानकरी दी। इसके अलावा अन्य विशेषज्ञ भी मौजूद थे।

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कुलपति डा. एमएलबी भट्ट ने कहा कि इस तरह के सम्मेलन से बीमारियों व नये शोध की जानकारी मिल जाती है।
वैज्ञानिक सत्र में निदेशक, एम्स नयी दिल्ली डॉ. रनदीप गुलेरिया ने एयर पॉल्युशन एवं लंग की बीमारियों पर बताया कि वातावरण में दो तरह का एयर प्रदूषण है, घर के अंदर और घर के बाहर एयर प्रदूषण। सेंट्रल इंडिया के 60- 70 प्रतिशत आबादी के घरों कर रसोईघर में चूल्हे का इस्तेमाल होता है तथा इनके घरो में सटीक वेंटिलेशन का अभाव है । ऐसी अवस्था में घर के सदस्यों खास तौर पर महिलाओं और बच्चों में खासी, ब्राोकाइटिस, श्वसन की बीमारियों एवं बच्चों में निमोनिया आदि की परेशानिया होने लगती है।

इसके अलावा एयर पॉल्यूशन से दमा, ब्राोंकाइटिस सांस की नली में सूजन, खून की नली सुकुड़ने लगती है,ं हार्ट पर असर पड़ता है, हार्ट अटैक की समस्या बढ़ जाती है। सिगरेट एवं बढ़े कोलेस्ट्रॉल के साथ एयर पॉल्यूशन भी हार्ट के लिए बहुत खतरनाक है। यह एक साइलेंट किलर है। इससे फेफड़ों के इंफेक्शन के सभावंना रहती है। एयर पॉल्यूशन को रोकने के लिये सख्त कदम उठाना होगा। सरकार द्वारा भी इस पर काफी ध्यान दिया जा रहा। घर के अन्दर के पॉल्यूशन को कम करने में सरकार द्वारा संचालित उज्ज्वला योजना बहुत कारगर है। किसानों को पुआली जलाने से रोकना होगा, सरकार द्वारा इसके लिए भी विभिन्न इंसेंटिव दिया जा रहा है।

कार्यक्रम के पैनल डिस्कशन में अमेरिका, यूके, बुल्गारिया, जापान, बांग्लादेश के विशेषज्ञ शामिल हुए, जिन्होंने निपाह सहित अन्य वायरस के संक्रमण को रोकने के नियमों का पालन करने के अपील की। डॉ. थॉमस कुनी ने कहा कि हेल्थ केअर की कॉस्ट लगातार बढ़ रही है। इसको कैसे कम किया जाए। उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोगों के पास हेल्थ इंसोरेंस है जिसकी वजह उन्हें अपनी बीमारी पर अपने पॉकेट मनी से खर्च नही करना पड़ता है।

जापान, बुल्गारिया, यूके में हेल्थ केअर सरकार द्वारा दिया जाता है। डॉ रनदीप गुलेरिया ने बताया कि भारत सरकार की आयुष्मान योजना के तहत देश के 10 करोड़ परिवारों को हर साल 5 लाख का हेल्थ बीमा मिलेगा जो उनकी हेल्थ केअर की जरूरतों को पूरा करेगा।

वर्तमान समय में भारत और बंाग्ला देश में वयस्क और बुजुर्ग लोगों के लिये वैक्सिनेशन की पॉलिसी नही है, भारत मे जहां लोग डायबिटीज, स्ट्रोक, लंग डिजीज आदि विभिन्न बीमारियों से ग्रसित हो रहे है ऐसे में इन्हें वैक्सिनेशन की पॉलिसी अपनानी चाहिए।

ज्यादातर डाक्टरों को मरीज को देखने के अलावा और अन्य कई कार्य करना पड़ता है तथा सेलरी का काम होना है, जबकि प्राइवेट अस्पतालों में मरीज के पास पैसे कम है किंतु अस्पताल का खर्चा ज्यादा आता है ।

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