लखनऊ । आजकल युवक जो अपने भविष्य के लिए बेहतर काम कर सकते थे। कानपुर जिले के थाना बर्रा क्षेत्र स्थित विश्व बैंक कॉलोनी निवासी सौरभ सिंह सचान, शुभम सिंह सचान व शोभित सचान अपने सात साथियों के साथ फर्जी आधार कार्ड बनाने के मामले में राज्य की एसटीएफ ने पकड़ा। आपका लाड़ला भी उनके साथ तो नहीं उन्हें सभालिए, कहीं ऐसा ही कारनामा आपका बेटा न कर जाये। विभूतिखंड स्थित एसटीएफ मुख्यालय के साइबर थाने के इंस्पेक्टर आईपी सिंह ने जांच पड़ताल के बाद वह आरोपी सौरभ सचान और उसके साथियों के बारे में आरोपी सौरभ के पिता भुपेन्द्र सिंह सचान के सामने पेश की तो उनके होश उड़ गये। वह और उनके साथ में आये दो लोग सिर थाम कर बैठ गये। बोले पिता की साहब हम तो जिंदगी में नहीं सोचे थे कि यह दिन देखने को मिलेगा।
सूबे में नई उम्र के लड़के खासकर छात्र अपराध के दलदल में कूद चुके हैं। कोई वाहन, पर्स, चेन लूटने व फर्जी दस्तावेज बनाकर जालसाजी करने के साथ ही वह रंगदारी मांगने और किसी का खून बहाने में पेशेवर अपराधियों से पीछे नहीं हैं। पुलिस के सामने खूंखार अपराधियों से अधिक इन नई उम्र वाले लड़कों पर शिकंजा कसना चुनौती बन गया है। एसटीएफ टीम ने अत्याधुनिक उपकरण इस्तेमाल कर फर्जी आधारकार्ड बनाने वाले गिरोह का राजफाश किया तो सामने आया कि अलग-अलग जनपदों के रहने वाले दस युवकगैंग बनाकर जालसाजी का काम कर रहे थे। वह एक आलीशान मकान में साइबर कैफे का कार्यालय खोलकर यूआईडीआई का कोड हैक कर भोले-भाले लोगों से मोटी रकम लेकर फर्जी आधार कार्ड बनाकर उनके हाथ में थमा देते थे।
खास बात यह रही कि करीब तीन माह से बर्रा थाना क्षेत्र में यह खेल खेला जा रहा था, लेकिन स्थनीय पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लग सकी थी। अपराध की दुनियां में नौ लड़कों को लेकर जाने वाला और कोई नहीं फूड कार्पोरेशन विभाग में तैनात भुपेन्द्र सिंह सचान का बेटा सौरभ सिंह सचान गिरोह का सरगना निकला। बेटा साथियों के साथ लॉकअप में बंद सौरभ व उसके पिता भुपेन्द्र सिंह की निगाह आमने-सामने हुई तो आंखे डबडबा गई और सिर पर हाथ्र रख लिय कि जिसे बड़े ही नाजों से पाला और बेटा आज एक अपराधी के रूप में दिख रहा है। सौरभ के अलावा सभी लड़के 18-20 साल के हैं। उन्हें जरायम के दलदल में घसीटने वाला गिरोह मास्टर माइंड सौरभ था।
यही नहीं राजधानी के अलग-अलग थानों की पुलिस ने जब भी किसी वारदात का राजफाश किया तो इसमें भी किसी बूढ़े व्यक्ति का चेहरा नहीं, बल्कि युवाओं के ही चेहरे सामने आये। पांच सितम्बर 2017 को चौक क्षेत्र में आगरा के सर्राफा कारोबारी रितेश कुमार सोनी से 73 किलो चांदी की हुई लूटकांड का चौक पुलिस ने खुलासा किया तो इसमें भी नई उम्र के लड़कों का चेहरा सामने आया था। अपराध की दुनिया में कूदने वाले ये रंगदारी मांगने से लेकर जालसाजी, टप्पेबाजी, वाहन लूट, चेन स्नेचिंग व हत्या जैसी संगीन घटनाओं को अंजाम देने से लेकर सब कुछ कर रहे हैं ये नई उम्र के लडके।
बेटों की करतूत से पिता बाहर भेजने का फैसला-
एसटीएफ के हत्थे चढ़े दस युवकों में सौरभ के पिता बेटे की इस हरकत से बहुत आहत हैं। वह इस बात से दुखी है कि विश्व बैंक कालोनी में उन्हें आज तक कोई दाग नहीं लगा सका, लेकिन बेटों की करतूत ने हमेश के लिए लोगों के सामने सिर झुकाने के लिए मजबूर कर दिया। उन्होंने बताया कि उनका बेटा बेहद अच्छा था और काम करने में मेहनती भी है लेकिन संगत ने उसे अपराधी बना दिया। भुपेन्द्र बिलखते हुए बोले कि उसका भविष्य सुधारने के लिए उसे कानपुर से कहीं और भेजने का फैसला कर लिया था।