फैक्ट्री प्रबंधन भी कराए टीबी मरीजों का इलाज

सात कंपनी ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर

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लखनऊ। तपेदिक पर नियंत्रण के लिए मरीजों की खोज अब फैक्ट्री में करके उनके इलाज करने की जिम्मेदारी उठायेंगी। इसके तहत किसी भी कर्मचारी में टीबी के लक्षण मिलने पर संबंधित कंपनी मालिक उसका पंजीयन कराने के साथ ही इलाज और भत्ते के बारे में भी जानकारी रखेंगे। इसके लिए सात कंपनी संचालकों ने रिवाइज्ड नेशनल ट्यूबरकुलोसिस कंट्रोल प्रोग्राम (आरएनटीसीपी) के साथ समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया है। इसके साथ ही अन्य कंपनी संचालकों को भी इस दिशा में जागरुक किया जा रहा है।

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देश को टीबी मुक्त बनाने के अभियान में लगे रीच संस्था की ओर से आयोजित कार्यक्रम में श्रम आयुक्त अनिल कुमार ने कहा कि अगर श्रमिक खुशहाल है तो कंपनी की तरक्की होनी तय है। इसलिए कंपनी संचालक को इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। श्रमिकों के वेलफेयर तथा स्वास्थ्य के काम करने में तत्पर रहना चाहिे। श्रमिक स्वस्थ्य है तो वह पूरे मनोयोग से काम करेगा। जानकारी के अभाव में तमाम श्रमिक आरएनटीसीपी की योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। कंपनी संचालक इस दिशा में सहयोग करें।

उन्हें मिलने वाली योजनाओँ का लाभ दिलाएं। डॉ. ऋ िष सक्सेना ने कहा कि टीबी अब लाइलाज बीमारी नही है। स्वास्थ्य विभाग टीबी नियंत्रण के तहत पंजीयन कराते ही निश्चय पोषण योजना के तहत पांच सौ रुपया प्रति माह देता है। रीच की स्ट्टे कोआर्डिनेटर सुश्री मुक्ता शर्मा ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग एवं श्रम विभाग के समन्वय से श्रमिकों को फायदा मिलेगा। इस दौरान डॉ. पंकज ढींगरा, मो. अनस कुरैशी, मृदुलिका शर्मा, कमल किशोर आदि मौजूद रहे।

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