आई-क्यू हाॅस्पिटल के डाॅ नीरज गुप्ता ने होली में आंखों को सुरक्षित रखने के उपाय बताए

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लखनऊ – डाॅ नीरज गुप्ता, एमएस (कैटरेक्ट, ग्लूकोमा और आॅक्युलोप्लास्टी) ने आई-क्यू गोमती नगर सेंटर, लखनऊ में आंखों की उन बीमारियों के इलाज के बारे में जानकारी दी जो अज्ञान और जागरुकता की कमी के कारण होते हैं; इस आयोजन का उद्देश्य शहर में बढ़ रहे जटिल नेत्र रोगों का समाधान करना था। उन्होंने इस बारे में भी उपयोगी जानकारी दी कि होली के दौरान अपनी आंखों को किस प्रकार सुरक्षित रखें।

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डाॅ नीरज गुप्ता ने कहा, ’’आई-क्यू हाॅस्पिटल का हमारा गोमती नगर सेंटर सभी जटिल नेत्र रोगों व सर्जरी के लिए पूरी तरह सक्षम है, हमारे यहां उन्नत टेक्नोलाॅजी तथा विशेषज्ञों की टीम है। नेत्र विकारों के शुरुआती परीक्षण से लेकर आंखों की पेचीदा बीमारियों के पूर्ण उपचार तक नेत्रोपचार की समग्र रेंज एक ही छत के नीचे उचित मूल्य पर उपलब्ध है।’’

उन्होंने 22 वर्षीय बढ़ई सद्दाम की दुर्घटना का जिक्र किया, लकड़ी पर काम करते समय एक टुकड़ा उनकी आंख में जा लगा जिसने उनकी आंख को बेध दिया। ’’सद्दाम का आईओपी उच्च था (27उउीह), चोट से लेंस फट चुका था और लेंस काॅर्टिकल मैटेरियल इंटीरियर चैम्बर में फैल गया था। सर्जरी से पहले हमने प्रैशर को काबू करने के लिए ऐंटी-ग्लूकोमा दवाएं दीं, फिर एक गोलाकार चीरा लगाया। काॅर्टिकल को पानी के बगैर धोया गया ताकि रेटिना में कोई समस्या (जैसे न्यूक्लीयस ड्राॅप/आरडी/छेद) पैदा न हो क्योंकि पोस्टिरियर कैप्सूल दिखाई नहीं दे रहा था। यदि पानी पोस्टिरियर कैप्सूल में चला गया तो रेटिना में मुश्किल हो सकती है,’’ डाॅक्टर ने बताया।

चूंकि होली आने वाली है इसलिए डाॅ गुप्ता ने सुरक्षित होली खेलने के लिए उपयोगी बातें भी बताईं। उन्होंने कहा, ’’रंगों के सम्पर्क में आने पर आंखों को क्षति होने का जोखिम सबसे ज्यादा रहता है। हर साल होली पर आंखें क्षतिग्रस्त होने और नजर खोने के 1,000 से ज्यादा मामले सामने आते हैं क्योंकि लोग असुरक्षित व नुकसानदेह तरीके से होली खेलते हैं। प्राकृतिक रंगों का स्थान सिंथेटिक रंगों ने ले लिया है जिनमें भारी धातुएं, तेजाब, अल्काली, पिसा शीशा, ऐस्बेस्टाॅस, चाॅक का पेस्ट आदि होते हैं। ये सभी जहरीले पदार्थ आंखों में ऐलर्जी, कंजक्टिवाइटिस, कैमिकल बर्न, काॅर्निया के घर्षण, आंख पर चोट और यहां तक कि अंधेपन की भी वजह बन सकते हैं।’’

डाॅक्टर ने नुकसानदेह रंगों से आंखों को सुरक्षित रखने के ये उपाय भी बताएः

  1. सिंथेटिक रंगों की बजाय पर्यावरण के अनुकूल या आॅर्गेनिक रंगों से होली खेलें
  2. होली खेलने जाते वक्त अपने लेंस निकाल लें। लेंस अगर कैमिकल के सम्पर्क में आए जीवन भर के लिए आंखों की रोशनी जा सकती है।
  3. होली खेलते वक्त अपनी आंखों को धूप के चश्मे या रक्षात्मक आई वियर से सुरक्षित करें।
  4. अगर आंखों में रंग चला जाए तो उन्हें रगड़ें नहीं, इससे जलन होगी या दृष्टि जा सकती है।
  5. आंखों के इर्दगिर्द पहले ही नारियल तेल या क्रीम की मोटी परत लगा लें ताकि रंगों को आसानी से बिना नुकसान के उतारा जा सके।
  6. रंग धोते वक्त गुनगुना पानी इस्तेमाल करें और अपनी आंखों को कस कर बंद रखें।
  7. पानी के गुब्बारे आंखों के लिए सबसे हानिकारक साबित हो सकते हैं क्योंकि इनके लगने से नेत्रगोलक टूट सकते हैं और यहां तक कि रेटिना भी अलग हो सकता है। इसलिए कार से सफर करते समय खिड़कियां बंद रखें।
  8. अगर किसी तरह की जलन/परेशानी महसूस हो और कोई अवांछनीय लक्षण हो तैसे दर्द/नजर धुंधलाना/निरंतर आंख लाल रहना या उनमें पानी आना, तो कोई भी दवा खुद से इस्तेमाल न करें बल्कि तुरंत डाॅक्टर से सम्पर्क करें।

आई-क्यू सुपर स्पेशलिटी आई हाॅस्पिटल्स की स्थापना प्रख्यात नेत्र रोग विशेषज्ञ डाॅ अजय शर्मा और श्री रजत गोयल ने 2007 में की थी, इसका उद्देश्य छोटे शहरों में किफायती मूल्य पर उच्च क्वालिटी की नेत्र उपचार सेवाएं मुहैया कराना है। आई-क्यू उत्तर भारत में विशेषज्ञ नेत्र उपचार का बड़ा प्रदाता संगठन है जिसके केन्द्र टियर-2 और टियर-3 शहरों में फैले हुए हैं। वर्तमान में दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात एवं महाराष्ट्र में इसके 44 सुपर स्पेशलिटी आई हाॅस्पिटल हैं। दुबई के स्किपर सील ग्रुप के साथ संयुक्त उपक्रम के तहत आई-क्यू जल्द ही लागोस, नाइजीरिया में अपना केन्द्र स्थापित कर के अफ्रीका में भी अपना परिचालन आरंभ कर देगा।

आई-क्यू सुपर स्पेशलिटी आई हाॅस्पिटल्स के बारे में –

आई-क्यू, सुपर स्पेशलिटी नेत्र अस्पतालों की एक श्रृंखला है जो भारत भर में उच्च क्वालिटी की एवं किफायती नेत्र उपचार सेवाएं मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है। आई-क्यू आईएसओ 9001-2000 पंजीकृत संगठन है जिसने साँग इन्वेस्टमेंट ऐडवाइज़र्स, हेलियाॅन वेंचर पार्टनर्स, नेक्सस वेंचर पार्टनर्स व इंटरनैशनल फाइनेंस काॅर्पोरेशन से वेंचर फंडिंग हासिल की है। इस श्रंृखला के सुपर-स्पेशलिटी हाॅस्पिटल्स मेडिकल एवं सर्जिकल आई केयर एवं आॅप्टिकल सेवाओं की पूरी रेंज प्रस्तुत करते हैं जैसे मोतियाबिंद, रेटिना, ग्लूकोमा का इलाज; रिफ्रैक्टिव सेवाएं; पीडियाट्रिकोक्युलोप्लास्टी, सभी आयु वर्गों के रोगियों के लिए विजुअल ऐड सर्विसिस। और ये सब सेवाएं प्रस्तुत की जाती हैं अद्वितीय निवारक व सुधारात्मक प्रक्रियाओं एवं अत्याधुनिक विधियों के माध्यम से।

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