चिकित्सकों के मुताबिक मासिक धर्म के खत्म होने से लेकर बाद तक महिलाओं के शरीर में काफी बदलाव आते हैं। जिसकी वजह से उन्हें चिड़चिड़ापन और तनाव होने लगता है, वहीं हार्मोन के खत्म होने के बाद भी महिलाएं अगर नियमित रूप से कसरत या दूसरे शारीरिक मेहनत वाले काम करें तो उन्हें हृदय संबंधी समस्याओं के होने की संभावना कम हो जाती है। एक रिसर्च के मुताबिक रजोनिवृत्ति के बाद अगर महिलाएं रोज केवल दस मिनट के लिए भी तेज चलें तो उनके हृदय को काफी फायदा पहुंचता है।
अचानक दिल का दौरा पड़ने की भी संभावना बढ़ जाती है –
उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं में दिल के असामान्य रूप से धड़कने जैसी समस्याएं आती हैं। कभी दिल तेज धड़कने लगता है, कभी घबराहट का एहसास होता है तो कभी सीने में तेज दर्द वहीं अचानक दिल का दौरा पड़ने की भी संभावना बढ़ जाती है। शोध के दौरान पाया गया कि बड़ी उम्र की वे महिलाएं जो हफ्ते में कम से कम 6 बार करीब आधे घंटे के लिए तेज चलती हैं या फिर वे जो हफ्ते में 2 बार करीब 1 घंटे के लिए साइकिल चलाती हैं, उन्हें औरों के मुकाबले हृदय संबंधी समस्याओं का 1० फीसदी कम खतरा होता है। लेकिन वे महिलाएं जो हल्की फुल्की कसरत भी करती हैं और हफ्ते में दो बार तेज चलती हैं उन्हें कसरत न करने वाली महिलाओं के मुकाबले हृदय रोगों का 6 फीसदी कम खतरा रहता है।
क्वीनमेरी अस्पताल की स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ.रेखा सचान ने बताया कि जो महिलाओं धूम्रपान करती हैं, जिन्होने कभी गर्भधारण नहीं किया और जो निम्न सामाजिक, आर्थिक पृष्ठभूमि से आती हैं। उनकी रजोनिवृत्ति कम आयु में होने की संभावना रहती है हाल में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि जिन महिलाओं की माहवारी का चक्र 26 दिन से कम का होता है उनकी रजोनिवृत्ति अधिक लम्बे माहवारी चक्र वाली महिलाओं की तुलना में 1.4 वर्ष पहले हो जाती है रजोनिवृत्ति की अधिक आयु का सम्बद्ध दीर्घ आयु से जोड़ा जा सकता है। अधिकतर रिपोर्ट यह दर्शाती हैं कि विकसित देशों की महिलाओं से विकाशील देशों की महिलाओं की आयु प्रथम माहवारी के समय अधिक तथा रजोनिवृत्ति के समय कम होती है।
रजोनिवृत्ति होने पर क्या-क्या बदलाव आते हैं ?
- रक्त का एस्ट्रोजन स्तर कम हो जाता है।
- रक्त में फोलिकल उत्प्रेरक हार्मोनों में उल्लेखनीय वृद्धि हो जाती है।
- ल्यूटिनाइजिग हार्मोनों की संख्या में वृद्धि हो जाती है। टेस्टोस्टेरोन का स्तर गिर जाता है क्योंकि डिम्ब ग्रंथि इसका केवल 5०%ही उत्पादित कर पाती है।
- प्रोजेस्टेरन हार्मोनों का स्तर अलग- अलग भी हो सकता है, और अलग-अलग नहीं भी हो सकता।
रजोनिवृत्ति से संबंधित लक्षण क्या-क्या हैं?
रजोनिवृत्ति से अनेक लक्षणों का संबंध जोड़ा जाता है, डिम्ब ग्रंथि के कार्य की क्षति से होने वाले लक्षणों और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया से होने वाले या प्रौढ़ जीवन के वर्षों के सामाजिक वातावरणगत तनावों से पैदा होने वाले लक्षणों के बीच अक्सर कम ही भेद किया जाता है। उम्र बढ़ने से प्रभावों और रजोनिवृत्ति के प्रभावों के बीच भेद करना तो खास तौर पर कठिन है।
खतरनाक हो सकता है रजोनिवृत्ति के बाद खून बहना –
डॉ. सचान ने बताया कि रजोनिवृत्ति के एक वर्ष बाद योनि से खून निकलने को उत्तर रजोनिवृत्ति रक्तस्राव कहते हैं। इस रक्तस्राव के अनेक कैंसरकारी और गैर कैंसरकारी कारण हो सकते हैं। रजोनिवृत्ति के बाद योनि से खून बहने के महत्वपूर्ण असाध्य (कैंसरकारी) कारण इस प्रकार हैं- गर्भाशय की ग्रीवा (सर्विक्स) का कैंसर, एंडोमीट्रि यम (गर्भाशय अस्तर) का कैंसर, योनि का कैंसर, डिम्बग्रन्थि का कैंसर।
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इसलिए रजोनिवृत्ति के एक वर्ष बाद योनि से किसी भी प्रकार का रक्तस्राव हो तो उसकी पूरी जाच जरूर करवा लेना चाहिए ।इसके लिए निम्न प्रकार की जांचें की जाती हैं कॉल्पोस्कोपी गर्भाशय की ग्रीवा और पीछे की ओर वाली योनि की फोर्निक्स के लिए पेप स्मियर जांच गर्भाशय की ग्रीवा की बायोस्पी आंशिक क्यूरेटेज (मूत्र अस्तर के टुकड़ों की हिस्टोपैथिलौजी द्बारा जांच), यदि डिम्ब ग्रंथि में असाध्य (मेलिग्नेंसी) का संदेह हो तो अल्ट्रासोनोग्राफी और लेप्रोस्कोपी की जांच आदि।