लखनऊ। गोमती नगर के डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में किडनी के इलाज के लिए पहुंची महिला मरीज को इमरजेंसी डायलिसिस न होना बता कर अस्पताल में घंटों स्ट्रेचर पर लिटाये रखा। इसके बाद जब तीमारदारों ने इलाज के लिए पूछा तो मरीज को केजीएमयू रेफर कर दिया। वहां पर भी रविवार होने के कारण मरीज की इमरजेंसी डायलिसिस न हो सकी। अस्पताल प्रशासन का तर्क है कि संसाधान व डॉक्टरों की कमी के चलते इमरजेंसी डायलिसिस की सुविधा मौजूद नहीं है।
लोहिया अस्पताल में किडनी के मरीजों के इलाज के लिए मात्र एक नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. एसएम कालरा तैनात हैं। यहां पर पांच डायलिसिस मशीन लगी है। अस्पताल की ओपीडी संचालन जब तक चलती है तब डायलिसिस हो जाती है। उसके बाद डायलिसिस यूनिट भी बंद हो जाती है। इमरजेंसी डायलिसिस के लिए आने वाले मरीजों को वापस कर दिया जाता है। रविवार दोपहर बस्ती निवासी शाहजहां (74) को डॉक्टरों ने लोहिया अस्पताल डायलिसिस के लिए रेफर किया था। एम्बुलेंस से तीमारदार दोपहर करीब एक बजे मरीज को लेकर इमरजेंसी पहुंचे। यहां पर डॉक्टरों ने लगभग एक घंटे तक स्ट्रेचर पर लिटाए रखने बाद बलरामपुर रेफर कर दिया।
बलरामपुर अस्पताल में भी इमरजेंसी डायलिसिस की सुविधा न होने पर मरीज को केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर भेज दिया गया। पति साकिर अली ने बताया कि दोपहर से एक से दूसरे संस्थान के चक्कर लगा रहे हैं, मरीज की इमरजेंसी में डायलिसिस होनी है। अस्पतालों में सुविधा न होने पर भटकना पड़ रहा है। लोहिया अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एमएल भार्गव ने बताया कि अस्पताल में इमरजेंसी में मरीजों की डायलिसिस की सुविधा नहीं है। उनका कहना है कि अस्पताल पास महज एक ही डॉक्टर है।
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