डेंगू वैक्सिनेशन शुरू करने की कवायद ?

0
654

लखनऊ। डेंगू पर नियंत्रण के लिए वैक्सीन का निर्माण हो चुका है। दुनिया के कुछ देशों वैक्सिनेशन हो भी रहा है। जिससे वहां पर लोगों को डेंगू से सुरक्षित किया जा सके और उनको बचाया जा सके, लेकिन भारत में डेंगू के रोकथाम के लिए टीकाकरण की शुरूआत अभी नहीं हो पा रही है। इसके पीछे कई तकनीकी कारण और चुनौतियां हैं। उन्हीं चुनौतियों और कारणों पर चर्चा करने के लिए किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में आयोजित माइक्रोकॉन – 2023 में एक सत्र का आयोजन किया जायेगा। जिसमें साइंटिस्ट, माइक्रोबायोलॉजिस्ट और डॉक्टर चर्चा करेंगे। इसके अलावा इस सत्र में आईसीएमआर की डॉ. निवेदिता गुप्ता भी मौजूद रहेंगी। जो डेंगू रोधी वैक्सीन को लेकर जानकारी साझा करेंगी। यह जानकारी डॉ. विमला वेंकटेश ने मंगलवार को माइक्रोबायोलॉजी विभाग में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान दी।

Advertisement

उन्होंने बताया कि हमारे देश में डेंगू के चलते बहुत से लोग हर साल अपनी जान गवां देते हैं। ऐसे में जब दुनिया के कुछ देशों में वैक्सिनेशन हो रहा है। जिसकी चर्चा हर जगह हो रही है। हम लोग भी वैक्सीन और उसके प्रभाव पर नजर बनाये हुये हैं। डेंगू का वैक्सिनेशन हमारे देश में कैसे शुरू हो सकता है। क्या चुनौतियां हैं, कितना असरदार होगा। इन सब बातों पर चर्चा के लिए माइक्रोकॉन – 2023 में एक सत्र निर्धारित किया गया है।

बताते चलें कि केजीएमयू में माइक्रोबायोलॉजी विभाग की तरफ से चार दिवसीय माइक्रोकॉन- 2023 का आयोजन किया जा रहा है। 23 नवंबर से शुरू होने वाले इस कॉफ्रेंस में चिकित्सा, विज्ञान के क्षेत्र से करीब 1200 डेलीगेट्स हिस्सा लेंगे। इसमें सरकार के कई विभागों के प्रतिनिधि भी हिस्सा लेंगे।

इस अवसर पर माइक्रोबायोलॉजी विभाग की एचओडी प्रो. अमिता जैन ने बताया कि केजीएमयू का माइक्रोबायोलॉजी विभाग इंडियन एसोसिएशन ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट के 46वें वार्षिक सम्मेलन माइक्रोकॉन- 2023 की मेजबानी कर रहा है। उन्होंने बताया कि इस कॉफ्रेंस में करीब 800 शोधपत्र भी प्रस्तुत होंगे। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इस बार जब यह कॉफ्रेंस शुरु हो रही है उस दौरान वर्ल्ड माइक्रोविरयल रेजिस्टेंट वीक भी पड़ रही है। इसलिए रेजिस्टेंट बैक्टीरिया और उस पर होने वाले दवाओं के असर पर भी बात होगी।

वरिष्ठ डॉ. शीतल वर्मा ने बताया कि कॉफ्रेंस में वायरस, बैक्टीरिया और फंगस से होने वाली बीमारियां और उन पर दवाओं का असर, इलाज, गुणवत्ता और जागरुकता पर चर्चा होगी। साथ ही माइक्रोबायोलॉजी के शिक्षण और प्रशिक्षण के क्षेत्र में हो रहे सुधारों की जानकारी भी साझा होगी। इसके अलावा उन्होंने बताया कि इन चार दिनों में अस्पताल संक्रमण समेत अन्य विषयों पर भी बात होगी।

Previous articleयोगी राज में ‘स्मार्ट मुखबिर’ ने तोड़ी अपराध की कमर
Next articleKgmu: शताब्दी फेज टू की लिफ्ट में चार फंसे, फायर कर्मियों ने निकाला

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here