लखनऊ। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन,यूनिसेफ अौर नेशनल नियोनेटलाजी फोरम के संयुक्त तत्वावधान में नवजात शिशु देखभाल सप्ताह मनाया जा रहा है। इसके तहत वेबिनार का आयोजन किया गया। अध्यक्षता मिशन निदेशक श्रीमती अपर्णा उपाध्याय ने किया।
श्रीमती अपर्णा उपाध्याय ने सम्बोधन में कहा कि प्रदेश में कोविड महामारी के बावजूद नवजात शिशु मृत्युदर आैर शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को आैर अधिक बेहतर करने के प्रयास किये जा रहे है। प्रदेश में गर्भवती महिला की एनीमिया व कुपोषण के निवारण तथा उच्च जोखिम महिला की पहचान करने के साथ ही सभी प्रसवपूर्ण जांच आैर चिकित्सकीय सुविधा प्रदान कर संयुक्त प्रयास कर शिशु मृत्युदर में कमी लाने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि माताएं प्रसव के बाद कम से कम 48 घंटे अस्पताल में रूके इसके लिए एनएचएम द्वारा कई प्रयास किये जा रहे है। डाक्टरों का संवेदनशील व्यवहार भी सहायक होगा। उन्होंने कहा कि नवजात आैर शिशु मृत्युदर को कम करने के लिए चाइल्ड डेथ रिव्यू को सुदृढ़ किये जाने की आवश्यकता है। महानिदेशक डा. राकेश दुबे ने कहा कि प्रदेश में शिशु एवं नवजात शिशु मृत्युदर के आंकड़ों में सुधार हुआ है। नवजात शिशु की देखभाल के लिए एसएनसीयू अौर एनबीएसयू क्रियाशील है। वर्तमान में प्रदेश में केएमसी भी मृत्युदर में कमी लाने में सहायक है। समुदाय स्तर पर एचबीएनसी कार्यक्रम के तहत आशा द्वारा छह से सात बार नवजात शिशु का गृह भ्रमण कर देखभाल करती है। वेबिनार में यूनिसेफ के सीएफओ, लिएनों ने भी सम्बोधित किया। प्रदेश के समस्त अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिला अस्पतालों के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सहित अन्य लोग शामिल थे