लखनऊ। क्रेनियोफेशियल बीमारी सिर से लेकर चेहरे तक को बदरंग कर देती है। जिस बच्चे को भी यह बीमारी हो जाती है और उसका समय पर इलाज नहीं हुआ तो उसका पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है। इस बीमारी से बचने का एक मात्र तरीका है। समय रहते बीमारी की पहचान और उसका इलाज। यह कहना है पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ राजीव अग्रवाल का।
डा. राजीव ने बताया कि चौथी इंडो-गल्फ ट्विन सिटी क्रेनियोफेशियल कांफ्रेस का आयोजन लखनऊ और आगरा में होने जा रहा है, जिसकी शुरूआत 25 अक्टूबर को लखनऊ में होगी, जिसमें खाड़ी देशों के वरिष्ठ और प्रतिष्ठित प्लास्टिक सर्जन हिस्सा लेंगे और बीमारी के इलाज की नवीनतम तकनीक साझा करेंगे।
उन्होंने बताया कि यूपी में क्रेनियोफेशियल से 3 प्रतिशत आबादी पीड़ित है। इस बीमारी में ब्रोन का डेवलपमेंट नहीं होता है। जिसका असर शरीर के विकास पर भी पड़ता है। पहली नजर में मरीज कुपोषण का शिकार दिखाई पड़ेगा। ऐसे में बच्चे के जन्म के बाद उसके शारीरिक विकास पर नजर रखें और सिर में बदलाव दिखने पर तत्काल चिकित्सक से सलाह लें। एक साल की उम्र तक सर्जरी हो जाने से बच्चा पूरा जीवन सामान्य तरीके से व्यतीत करता है।
डा. राजीव अग्रवाल के मुताबिक यदि किसी बच्चे का सिर सामान्य से ज्यादा बड़ा है। आंखे बाहर की तरफ हों, चेहरा टेढ़ा व सिर पर नसें निकली हो सकती हैं। इस तरह का लक्षण दिखाई पड़े तो चिकित्सक से सलाह लेने में देर नहीं करनी चाहिए। यदि इस बीमारी का इलाज एक वर्ष की आयु में हो जाये, तो स्कूल जाने तक बच्चा सामान्य दिखने लगेगा। कई बार इस बीमारी से पीड़ित बच्चों को साथी बच्चे ही परेशान करते हैं। इतना ही नहीं कई बार इस बीमारी से पीड़ित बच्चों को आगे चलकर सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है।












