लखनऊ। वीरांगना अवंती बाई महिला अस्पताल (डफरिन) के पास को कूड़े के ढेर में दवाओं को जलाने का खुलासा हुआ है। इस मामले को तूल पकड़ता देख मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने जांच किए जाने का दावा किया है। प्राथमिक जांच में पूरी दवाओं के पत्ते ढेर में मिलने से साबित हो गया कि वह सरकारी दवा हैं। बताया जाता है कि यह दवाएं शॉर्ट एक्सपायरी की हैं। डफरिन अस्पताल के समीप सरकारी दवाओं को बृहस्पतिवार को जलाया गया है। वहीं स्थानीय लोगों की माने तो गुरुवार रात को दो व्यक्ति दवाओं को कूड़े के ढेर में फेंक गए थे। साथ ही उन्होंने तुरंत ही दवाओं को जला भी दिया था। कुछ दवाओं के पत्ते जल नहीं सके। वहां लोगों की नजर पड़ी तो उन लोगों ने दवाओं के पत्तों को उठा लिया।
आशंका जताई जा रही है कि स्टॉक समाप्त करने के लिए दवाओं को जलाया गया। इन दवाओं के पत्तों पर किसी अस्पताल की मुहर नहीं लगी है, लेकिन जुलाई में एक्सपायरी होने वाली इन दवाओं पर बैच नंबर साफ लिखा हुआ है। इन पर मैन्युफैक्चरिंग अगस्त 2017 दर्ज है। जानकारों के मुताबिक पिरासेटम टेबलेट 800 एमजी की यह दवा दर्द निवारक और बुखार में प्रयोग की जाती है। ज्यादातर हड्डी रोग के डॉक्टर यह दवा मरीजों को मरीजों को लिखते हैं। दवा पर साइनोकेम फार्मा कंपनी का नाम अंकित है।
जुलाई में एक्सपायर होने वाली इन दवाओं को फेंकने और जलाने के मामले की शिकायत सीएमओ से की गई है। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने शुक्रवार को जानकारी होने पर मामले को संज्ञान में लेकर जांच कराए जाने की बात कही है। दवाओं के बैच नंबर के आधार पर ही जांच की जाएगी। इस बैच की दवा किस को आवंटित की गयी थी या कहीं आैर की है। सीएमओ डॉ. नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि यदि दवा एक्सपायर हो चुकी है तो उसका नियमानुसार निस्तारण किया जाना चाहिए। यह दवा सरकारी है या प्राइवेट, इसकी जांच की जाएगी। यह भी पता लगाया जाएगा कि यह दवा कहां से लाकर फेंकी गयी है।
अब PayTM के जरिए भी द एम्पल न्यूज़ की मदद कर सकते हैं. मोबाइल नंबर 9140014727 पर पेटीएम करें.
द एम्पल न्यूज़ डॉट कॉम को छोटी-सी सहयोग राशि देकर इसके संचालन में मदद करें: Rs 200 > Rs 500 > Rs 1000 > Rs 2000 > Rs 5000 > Rs 10000.