ड्रॉप्सी के दो मरीज यहां भर्ती

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लखनऊ. किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में ड्रॉप्सी के 2 मरीज भर्ती कराए गए हैं. इनका इलाज मेडिसिन विभाग के आईसीयू में चल रहा है. इलाज करा रहे 65 वर्षीय अशोक कुमार और उनकी पोती 4 वर्षीय स्वाति सबसे दुखद पहलू यह है कि पिछले 1 महीने में उनके परिवार के 4 सदस्य थोड़े-थोड़े दिनों के अंतराल पर ड्रॉप्सी बीमारी के चपेट में आकर मर गए. जौनपुर में रहने वाले इस परिवार को शुरुआत में इनके परिवार को शुरुआत में तो यह बीमारी समझ में नहीं आई स्थानीय डॉक्टरों ने भी इलाज तो किया परंतु लक्षणों के आधार पर रोग की पहचान नहीं कर सके.

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ऐसे मे परिवार के सदस्यों की मौत होती चली गई. अंत में बचे दादा और पोती की तबीयत जब तेजी से बिगड़ी तो स्थानीय परिजनों की मदद से बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में भर्ती कराया गया वहां पर भी हालत में सुधार ना होने पर शुक्रवार की शाम को केजीएमयू के मेडिसिन विभाग में भर्ती कराया गया.

यहां पर भर्ती होने के बाद कल तो इन दादा पोती को देखने वाला कोई नहीं था. साथ में कोई भी रिश्तेदार नहीं आया था. दोनों की हालत को देखते हुए डॉक्टर और नर्सों ने तीमारदार बनकर सेवा की . डॉक्टरों ने आज सुबह दादा पोती को गांधी वार्ड के आईसीयू में शिफ्ट करा दिया. पोती स्वाति के साथ कोई ना होने के कारण उसे बाल रोग विभाग में भर्ती कराकर दादा के साथ ही ही आंसुओं में रखा गया है. आज सुबह उन का छोटा बेटा पंकज तीमारदारी के लिए के लिए लखनऊ पहुंचा. उसकी बातें सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं. पंकज बताते हैं कि सबसे पहले उर्मिला मिश्रा की मौत 26 अप्रैल को दस्त आने तथा पैर में सूजन के साथ अचानक तबीयत बिगड़ने के कारण हो गई.

उनका परिवार मुंबई से एक कार्यक्रम के बाद लौटकर जौनपुर पहुंचा था. परिवार अभी उर्मिला मिश्रा की मौत से उबरा नहीं था कि उनकी भाभी कविता मिश्रा जो कि दस्त पैर में सूजन सहित अन्य दिक्कतों से परेशान थी. उनका इलाज स्थानीय डॉक्टर से चल रहा था उनकी मौत भी 3 मई को जौनपुर में ही हो गई. उसके बाद भाई धीरज को बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में भर्ती कराया जहां उसका कुछ दिन रात चला सुधार होने पर घर लाया गया घर लाने के कुछ दिन बाद ही 14 मई को उसकी डेथ हो गई. लगातार हो रही मौतों से परिवार बेहाल हो गया था सभी को सदमे पर सदमा लग रहा था किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार मौतों का स्पष्ट कारण क्या है क्योंकि परिवार स्थानीय स्तर पर बेहतर से बेहतर इलाज करा रहा था. 24 मई को भाई नीरज मिश्रा की भी तबीयत बिगड़ने के कारण मौत हो गई.

तीन बेटे और पत्नी की मौत के बाद पिता अशोक कुमार सदमे में आ गए. हालांकि उनकी भी तबीयत बिगड़ रही थी लेकिन वह किसी तरह अपने को संभाले थे उनके भी पैर में स्वेलिंग और दस्त बंद होने के नाम नहीं ले रहे थे इसी बीच पंकज की छोटी बेटी स्वाति 4 साल की भी तबीयत बिगड़ने लगी वह भी इलाज करा रही थी दोनों की हालत ज्यादा बिगड़ने पर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में भर्ती कराया गया. वहां पर डॉक्टर पूरे परिवार मैं हो रही मौतों से बौखला गए थे उन्होंने सभी के लक्षणों के आधार पर जानकारी एकत्र की. डॉक्टरों के बेहतर इलाज के लिए शुक्रवार को किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय रेफर कर दिया यहां पर ट्रामा सेंटर में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने दादा और पोती का जांच पड़ताल की और पाया की लक्षणों के आधार पर ड्रॉप्सी कहा जा सकता ह.ै इसी के आधार पर इलाज शुरू कर दिया गया. विशेषज्ञ डॉक्टर डी हिमांशु ने बताया कि लक्षणों के आधार पर ड्रॉप्सी बीमारी लग रही है पूरे परिवार की केस हिस्ट्री एक समान है मुंबई से लौटने के बाद पूरे परिवार मौत होना शुरू हो गई.

उन्होंने बताया फिलहाल कई जांचें और भी कराई जा रही हैं और जनता से पड़ताल की जा रही है कहीं कोई अन्य वायरस तो इस बीमारी का कारण नहीं है जो कि पूरे परिवार को जो कि मुंबई गया हुआ था चपेट में आ गया है. विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम दादा और पोती पर विशेष ध्यान दे रहे हैं वर्तमान में पोती की हालत में काफी सुधार है जबकि दादा भी पहले से काफी बेहतर बताए गए हैं. डॉ हिमांशु ने बताया पूरे केस की पड़ताल में वहां जाकर मेडिकल ऑफिसरों की मदद से जांच करनी होगी अभी तो यह मामला ड्रॉप्सी का ही लग रहा है. फिलहाल इस पूरे परिवार मैं लगातार हो रही मौतों से बचे-खुचे परिजन भी सदमे में है.

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