डाक्टर अपने व्यवहार के प्रति ईमानदार रहें: राज्यपाल

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PGI का स्थापना दिवस

 

 

लखनऊ ।किसी भी संस्थान के लिए स्थापना दिवस एक ऐसा दिन होता है, जब संस्थान अपनी उपलब्धियों को याद करता है और इस विकास यात्रा को सतत जारी रखने की प्रतिज्ञा दोहराता है। संजय गांधी पी जी आई ने भी अपना 39वां स्थापना दिवस आज पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया।

 

 

 

 

संस्थान की कुलाध्यक्ष श्रीमती आनंदी बेन पटेल इस समारोह की मुख्य अतिथि थीं । इस अवसर पर संस्थान के निदेशक प्रो. आर के धीमन ने उपस्थित सम्मानित अतिथियों का स्वागत किया और संस्थान की विगत एक वर्ष की प्रगति का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया।

 

 

 

संस्थान की संकाय अध्यक्ष डीन प्रोफेसर शुभा फड़के ने स्थापना दिवस समारोह के व्याख्याता प्रोफेसर मनोज कुमार मित्रा का औपचारिक परिचय दिया। प्रोफेसर एम के मित्रा, प्रख्यात चिकित्सक और किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ के मेडिसिन विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष है।
प्रोफेसर मित्रा 50 से अधिक वर्षों (1970 से आज तक) से शिक्षण प्रशिक्षण कार्य से जुड़े रहे हैं।
डॉक्टर मित्रा का संबोधन प्रेरणास्पद एवं अभिभूत कर देने वाला था।

 

 

 

इस अवसर पर संस्थान के शोधकर्ताओं व विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि चिकित्सको का रोगियों के प्रति व्यवहार पूरी ईमानदारी, सहानुभूति एवं गरिमा से परिपूर्ण होना चाहिए क्योंकि रोगियों की दुआओं और आशीर्वाद से बड़ी कोई उपलब्धि नहीं है।

 

 

उन्होंने संस्थान में हुए शोध कार्य की सराहना की और कहा कि हमारा शोध हमारी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राथमिकताओं की ओर इंगित होना चाहिए और शोध ऐसा हो जो सरकार की नीति में परिवर्तन ला सकें और जनसामान्य का वृहत्तर हित कर सके। भारतीय जनसंख्या में होने वाली आयोडीन की कमी को दूर करने के लिए शोध के द्वारा ही आयोडीन युक्तौ नमक को एक नीति के रूप में स्वीकार किया गया। शिक्षकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमें अपने शिक्षण को नवाचार से युक्त करना चाहिए। हमें क्लिनिकल मेडिसिन की कला को सीखना चाहिए। मरीजों के साथ 15 मिनट की बातचीत करके उसके लक्षणों के आधार पर तार्किक विश्लेषण के द्वारा हम बहुत हद तक रोग की पहचान कर सकते है। इसके लिए बहुत सारी और महंगी जांचो की आवश्यकता नहीं पड़नी चाहिए।उन्होंने एक संस्थान के निदेशक के लिए आवश्यक गुणों को भी बताया और कहा कि निदेशक अपने टीम का नेतृत्व करता है और बहुत आवश्यक है कि वह रोगी सेवा, शोध, शिक्षण प्रशिक्षण सभी क्षेत्रों में अनुशासन व सौहार्द पूर्ण वातावरण प्रदान करे और इसके लिए उन्होंने संस्थान के निदेशक प्रोफ़ेसर आर के धीमन की प्रशंसा की।
आज इस अवसर पर संस्थान परिवार के अनेक सदस्यों को विभिन्न श्रेणियों में चिकित्सक स्टाफ नर्स व तकनीशियन को उनके योगदान के लिए माननीय राज्यपाल महोदया द्वारा सम्मानित किया गया। माननीय राज्यपाल महोदया ने अत्यंत प्रेरणास्पद अभिभाषण के लिए डॉक्टर एम के मित्रा की सराहना की। उनहोने कहा कि समाज की आवश्यकता के अनुसार ही शोध की दिशा तय होनी चाहिए
उन्होंने कहा की सेवाओं हेतु भर्तियो में पारदर्शिता होनी चाहिए तभी गुणी और प्रशिक्षित शिक्षक, नर्सिंग स्टाफ सेवाओं में आएंगे। तदनुसार ही संस्थानो की सेवाओं में सुधार होगा। उन्होंने शोधार्थियों से आग्रह किया कि जितने भी शोध हो, उन में नवाचार को लिपिबद्ध करें, उसकी पुस्तक प्रकाशित करें और दूसरों के साथ उसे साझा करें। उत्तर प्रदेश सरकार के संसदीय कार्य राज्य मंत्री, चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, मातृ एवं बाल कल्याण मयंकेश्वर शरण सिंह समारोह के विशिष्ट अतिथि थे। उन्होंने संस्थान के 39 वें स्थापना दिवस समारोह की सभी को बधाई दी और पुरस्कृत विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया।

 

 

 

प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा उत्तर प्रदेश शासन श्री आलोक कुमार ने भी उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हमें पैरामेडिकल स्टाफ को संख्या में और गुणवत्ता में दोनों में ही बढ़ाने की आवश्यकता है उन्होंने कहा शोध को सामाजिक सरोकार से संबंधित होना चाहिए। संस्थान की डीन प्रोफेसर शुभा फड़के द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

 

 

 

समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।संस्थान के स्थापना दिवस समारोह के अनेक कार्यक्रम प्रातः से ही प्रारंभ हो गए थे। अस्पताल में भर्ती रोगियों को फल और शुभकामना कार्ड वितरित किये गए। इस अवसर पर संस्थान के ब्लड बैंक द्वारा स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया।

 

 

 

 

साथ ही वृक्षारोपण कार्यक्रम भी संपन्न हुआ, जिसमें इमेरजेन्सी मेडिसिन एवं गुर्दा प्रत्यारोपण केंद्र के आसपास लगभग 30 वृक्ष लगाए गए।

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