लखनऊ। मिक्सोपैथी के विरोध में प्रदेश के निजी अस्पतालों की ओपीडी सेवा शुक्रवार को पूरी तरह बंद रही। इस दौरान इमरजेंसी सेवा और कोरोना मरीजों का ही इलाज किया गया। पैथोलॉजी व डायग्नोस्टिक सेंटर भी बंद रहे।
बताते चले कि आयुष डॉक्टरों को सर्जरी करने की छूट दिए जाने और देश में वर्ष 2030 से इंटीग्रेटेड मेडिसिन को लागू करने के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के आह्वान पर यह हड़ताल हुई। सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने भी आइएमए को अपना समर्थन दिया है।
आइएमए लखनऊ अध्यक्ष डॉ. रमा श्रीवास्तव ने बताया कि सभी 15 हजार निजी अस्पताल, पैथोलॉजी व डायग्नोस्टिक सेंटरों में शुक्रवार सुबह छह बजे से शनिवार सुबह छह बजे तक यह बंदी रहेगी। उन्होंने कहा कि आयुष डॉक्टरों को आधे-अधूरे ढंग से ब्रिज कोर्स कराकर सर्जरी करने की छूट दी जा रही है। वहीं इंटीग्रेटेड मेडिसिन के लिए केंद्र सरकार ने समितियां गठित की हैं। अभी एलोपैथी, आयुर्वेद, यूनानी व होम्योपैथी की अपनी अलग-अलग पहचान है। ऐसे में इन सबको मिलाकर मिक्सोपैथी बनाने के घातक परिणाम होंगे। सभी जिलों में आइएमए पदाधिकारी प्रदर्शन कर सरकार से इस फैसले को वापस लिए जाने की मांग करेंगे। इसके साथ ही लखनऊ के निजी अस्पतालों में शुक्रवार को इलाज ठप रहा। ओपीडी के साथ-साथ रूटीन सर्जरी भी टाल दी गयी। वहीं आइएमए ने कोविड व इमरजेंसी सेवाएं जारी रखने का एलान किया था।
बताते चले कि सरकार ने आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी के अधिकार देने का फैसला किया है। यह एलोपैथ के डॉक्टरों को नागवार गुजरा। उसे मिक्सोपैथी करार देकर फैसले का विरोध किया आइएमए ने शुक्रवार को इमरजेंसी व कोविड सेवाएं छोड़कर सब बंद करने का एलान किया था। आइएमए लखनऊ के सचिव डॉ. जेडी रावत ने कहा कि एसोसिएशन की स्टेट शाखा ने कोविड व इमरजेंसी सेवाएं जारी रखने का फैसला किया। वहीं ओपीडी, पैथोलॉजी, डायग्नोस्टिक सेंटर व रूटीन सर्जरी बंद रही। इस दौरान दोपहर में आइएमए के पदाधिकारी और डॉक्टरों ने रिवर बैंक कार्यालय से मार्च निकालकर विरोध जताया। लखनऊ में करीब 1500 डॉक्टर आईएमए से संबद्ध हैं। यह डॉक्टर अस्पताल, क्लीनिक, पैथोलॉजी, डायग्नोस्टिक सेंटर चला रहे हैं। इनमें रोजाना करीब 50 हजार मरीज इलाज व जांच के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे में मरीजों को जांच व इलाज के लिए दिक्कतें उठानी पड़ी इसके अलावा सैकड़ों ऑपरेशन भी टल गये।