लखनऊ। प्रदेश में टीबी की रोकथाम और टीबी को वर्ष 2025 तक जड़ से खत्म करने का डॉक्टरों ने संकल्प लिया। इस मुहिम में प्रदेश के मेडिकल कालेजों के डॉक्टर मुख्य भूमिका निभाएंगे। शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में टीबी के प्रति जागरूकता अभियान चलाएंगे। टीबी पीड़ित लोगों का जल्द पता लग सके। ताकि इनका इलाज कर टीबी की दर को कम किया जा सके। शुक्रवार को पीजीआई में संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) के तहत आयोजित 38 वीं यूपी-एसटीएफ कार्यशाला में हिस्सा ले रहे नेशनल टॉस्क फोर्स के चेयर मैन डॉ. डी बेहरा, वाइस चेयरमैन डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, राज्य के चैयरमैन डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी समेत सभी डॉक्टरों ने इस मुहिम का समर्थन किया।
पीजीआई के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग प्रमुख डॉ.आलोक नाथ ने कहा कि लोगों में टीबी के प्रति जागरूकता की जरूरत है। अस्पतालों में बहुत से मरीज ऐसे आते हैं जो पहले टीबी का दवा खा चुके हैं, लेकिन बीच में दवा छोड़ने की वजह से उनकी बीमारी ठीक नही हुई। बल्कि दोबारा उन्हें टीबी हो गई। विशेषज्ञों ने कहा कि टीबी के इलाज को लेकर सरकार बहुत गंभीर है। सरकार टीबी के मरीजों को नि:शुल्क इलाज मुहैया करा रही है। टीबी मरीजों को इलाज अब इंजेक्शन की जगह दवाओं से मुमकिन हो गया है। अब यह दवाएं भी लम्बे समय तक नही खानी होती हैं। कार्यशाला की आयोजक सचिव व माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ. रिचा मिश्रा ने कहा कि केन्द्र सरकार ने टीबी नियंत्रण के लिए संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया है। जिसके तहत नेशनल, जोनल और राज्य स्तर पर टास्क फोर्स का गठन किया है। जिसके तहत यूपी स्टेट टास्क फोर्स ने 2025 तक टीबी को खत्म करने का संकल्प लिया है।
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