न्यूज। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवद्र्धन ने डाक्टरों आैर स्वास्थ्य कर्मियों को किसी भी तरह की हिंसा से बचाने के लिए राज्यों से विशेष कानून लाने पर विचार करने को शनिवार को कहा। पश्चिम बंगाल में डाक्टरों पर हुए हालिया हमले के मद्देनजर हर्षवद्र्धन ने यह बात कही। आईएमए आैर दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) ने शनिवार को हर्षवद्र्धन से मुलाकात की।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सभी मुख्यमंत्रियों को एक पत्र के साथ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा मुहैया किया गया मसौदा अधिनियम – चिकित्सा सेवा जन एवं चिकित्सा सेवा संस्थान (हिंसा एवं संपत्ति को क्षति या नुकसान से रोक) अधिनियम, 2017- की एक प्रति भी संलग्न की है। उन्होंने डॉक्टरों पर हमला करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई के मुद्दे पर सभी राज्यों आैर केंद्र शासित प्रदेशों का ध्यान आकृष्ट किया।
आईएमए द्वारा चार दिनों का राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुक्रवार से शुरू किए जाने आैर अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए एक केंद्रीय कानून लाने की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मांग किए जाने के बाद हर्षवद्र्धन ने यह कदम उठाया है। हर्षवद्र्धन ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में डॉक्टरों पर हमले की घटनाएं दर्ज की गई हैं। इसने डाक्टरों को अचानक से हड़ताल पर जाने को मजबूर कर दिया है। इससे स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हो रही है।
उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि देश के कई हिस्सों में रेजीडेंट डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे हैं आैर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया नहीं कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल में डाक्टरों का आंदोलन व्यापक रूप ले रहा है आैर यह देश भर के सरकारी एवं निजी क्षेत्र के डॉक्टरों की हड़ताल में तब्दील हो रहा है। आईएमए आैर दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) ने शनिवार को हर्षवद्र्धन से मुलाकात की। हर्षवद्र्धन ने भविष्य में इस तरह की घटनाओं को टालने की जरूरत का जिक्र करते हुए कहा कि कानून होना चाहिए, ताकि डॉक्टर आैर अस्पताल अपने कर्तव्य निभा सकें तथा चिकित्साकर्मी किसी हिंसा का सामना किए बगैर अपना काम कर सकेंगे।
उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सात जुलाई 2017 को राज्यों के मुख्य सचिवों को भेजे पत्र का भी जिक्र किया, जिसमें एक अंतर-मंत्रालय कमेटी के फैसले का उल्लेख किया गया था। आईएमए द्वारा उठाए गए मुद्दों की समीक्षा के लिए मंत्रालय ने यह कमेटी गठित की थी।
उन्होंने कहा, ”चूंकि पुलिस आैर लोक व्यवस्था राज्य सूची के विषय हैं, इसलिए भारत सरकार ने कई मौकों पर एक मजबूत आपराधिक न्याय प्रणाली की ओर राज्य सरकारों का ध्यान आकृष्ट किया है, जिसमें अपराध की रोकथाम आैर नियंत्रण पर जोर दिया गया है।””
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