चिकन पॉक्स को न करें नजरअंदाज, डॉक्टर से कराएं इलाज

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लखनऊ – चिकन पॉक्स, वेरिसेला जोस्टर वायरस के कारण होने वाली बहुत ही संक्रामक बीमारी है। यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के छींकने से हवा में फ़ैली बूंदों द्वारा या दानों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान ने बताया कि अधिकांशतः यह बीमारी जाड़े व बरसात के दिनों में होती है लेकिन मौसम परिवर्तन के समय भी इस बीमारी के होने की संभावना रहती है। यह 10 वर्ष से कम आयु वर्ग के लोगों को अपनी चपेट में लेता है। यदि किसी बच्चे को यह हो गया है तो उसके आस पास के 90% बच्चों में इस बीमारी को होने की संभावना होती है। यदि किसी गर्भवती महिला को यह रोग हो जाता है तो उसके नवजात बच्चे में कंजनाइटल वेरिसेला सिंड्रोम हो सकता है जिसमें बच्चे कम वजन के, मोतियाबिंद से ग्रस्त, बहरे व छोटे सिर के हो सकते हैं।

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यदि प्रसव पश्चात 5 दिन के अंदर महिला को चिकन पॉक्स हो जाता है तो बच्चे को इम्यूनोग्लोबिन का इंजेक्शन लगवाना चाहिए। डॉ. सलमान ने बताया कि इसकी शुरुआत बुखार व दानों के साथ होती है। दाने ओस की बूंदों के समान होते हैं। इनमें पानी भरा होता है। पहले यह दाने सीने व पेट में दिखाई देते हैं, उसके बाद चेहरे व हाथ पैरों में परिलक्षित होते हैं। हथेलियाँ व तलवे इससे सुरक्षित रहते हैं। इस बीमारी से संक्रमित होने की संभावना दाने निकालने से 2 दिन पहले व दाने निकलने के 5 दिन बाद तक अधिक रहती है। 4-7 दिनों के बाद पपड़ी पड़ जाती है। धीरे धीरे यह दाने ठीक हो जाते हैं। दानों के निशान रह जाते हैं जो कि अपने आप ही समय के साथ समाप्त हो जाते हैं।

डॉ. सलमान ने बताया कि जिन लोगों को कभी चिकन पॉक्स नहीं हुआ है और जिन्होने कभी चिकन पॉक्स का टीका नहीं लगवाया हैं उन्हें इसका संक्रमण होने का खतरा ज्यादा रहता है। जिस व्यक्ति या बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, वही इसकी चपेट में आ जाता जाता है। ऐसी स्थिति में लापरवाही करना भारी पड़ सकता है, इसलिए इस तरह के लक्षण पाये जाने पर तत्काल चिकित्सक से इलाज कराएं।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. एम.के.सिंह ने बताया कि इस बीमारी को लेकर कई समाज में कई भ्रांतियाँ फ़ैली हैं –

  • जबकि लोगों को इसका चिकित्सक से इलाज कराना चाहिए।
  • झाँड़-फूँक नहीं कराना चाहिए।
  • संक्रमित बच्चे को उचित पोषण देना चाहिए।
  • बच्चा जो खाये उसे खाने को दें।
  • संक्रमित बच्चे को अन्य स्वस्थ बच्चों से अलग रखना चाहिए।
  • सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि शरीर में पानी की कमी न होने पाये।
  • अतः तरल पदार्थों का सेवन समुचित मात्रा में करना चाहिए।
  • इस बीमारी की कोई विशेष दवा नहीं है चूंकि यह संक्रामक बीमारी है अतः साफ सफाई व खान पान से जुड़ी सलाह दी जाती है।

चिकन पॉक्स से जुड़ी कुछ भ्रांतियाँ एवं तथ्य –

भ्रांति : मांसाहारी भोज्य पदार्थों के सेवन से खुजली होती है।
तथ्य : मेडिकल साइंस ऐसा नहीं कहती है।
भ्रांति : अगर किसी व्यक्ति कोई एक बार यह बीमारी हो गयी तो दोबारा नहीं हो सकती।
तथ्य : ऐसा नहीं है , कई लोगों को दोबारा भी होता है। अतः सावधानी बरतनी चाहिए।
भ्रांति : गहरे रंग के खाद्य पदार्थों के सेवन से दाग पड़ जाते हैं।
तथ्य : दानों में बार बार नाखून लगाने से दाग पड़ते हैं।
भ्रांति : नहाना नहीं चाहिए, बाल नहीं धुलने चाहिए।
तथ्य : नहा सकते हैं। सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

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