लखनऊ । दिल का दौरा पड़ने के शुरूआती छह घंटे के भीतर इलाज जरूरी है। धमनी में ब्लॉकेज का यदि छह घंटे में इलाज मिल गया तो दिल की रिकवरी हो सकती है। अन्यथा विलंब होने पर हार्ट पर बुरा असर पड़ता है।
यह जानकारी एसजीपीजीआई में कार्डियोलॉजी विभाग द्वारा आठ फरवरी से होने वाली वार्षिक कांफ्रेंस को लेकर आयोजित पत्रकार वार्ता में आयोजक चेयरमैन और कार्डियोलॉजी के प्रमुख प्रो. पीके गोयल ने दी। दिल का दौरा पड़ने पर मरीज को ऐसे हास्पिटल में लेकर पहुंचे, जहां पर 24 घंटे एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी की सुविधा उपलब्ध हो। क्योंकि दिल का दौरा पड़ने के छह घंटे के भीतर इसका सटीक इलाज जरूरी होता है। विलबं होने पर दिल के ठीक होने की संभावना न के बराबर होती है। प्रो. गोयल ने बताया कि 50 फीसदी लोग दिल के दौरे को पेट की गैस समझकर इलाज करते हैं, जबकि वास्तव में उसमें दिल का दौरे की दिक्कत होती है।
डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ के लिए प्रशिक्षण सत्र कांफ्रेंस के आयोजक सचिव और संस्थान के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नवीन गर्ग ने बताया कि पीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित 26 वीं वार्षिक कांफ्रेंस कार्डियोलॉजिकल सोसायटी आफ इंडिया यूपी चैप्टर का आयोजन आठ फरवरी से संस्थान के कन्वेंशन सेंटर में किया जा रहा है।
डॉ. सत्येन्द्र तिवारी ने बताया कि कांफ्रेंस में शामिल 1070 दिल के डॉक्टर और करीब 200 नर्सेज और टेक्नीशियन को पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) और इको के साथ ही अन्य जरूरी प्रशिक्षण दिया जाएगा। विशेषज्ञ अपने अनुभव साझा करेंगे। सचिव प्रो. नवीन गर्ग ने बताया कि कांफ्रेंस में पहली बार कानपुर के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एसएस सिंघल को लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड दिया जाएगा। इसके अलावा पीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग के बेस्ट डीएम छात्र डॉ. कृष्णा पंत को अवार्ड मिलेगा। कांफ्रेंस में संस्थान के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुदीप कुमार, डॉ. आदित्य कपूर और डॉ. रुपाली खन्ना मौजूद थी।
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