डेंगू के अलावा इन दो खतरनाक बीमारियों के बढ़ रहे मरीज

0
797

 

Advertisement

 

 

 

 

 

 

 

लखनऊ। राजधानी में बुखार के केस लगातार बढ़ रहे है। इनमें डेंगू के अलावा स्क्रब टाइफस के अलावा लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण के कारण बुखार के केस भी आने लगे है। विशेषज्ञ चिकित्सकों का मानना है कि वायरल बुखार के मरीजों को खास बात ध्यान रखनी है कि अगर प्लेटलेट्स कम होती है वह डेंगू के अलावा अन्य डिजीज भी हो सकती है। विशेषज्ञ डाक्टर से परामर्श करके तत्काल इलाज कराना चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले दो सप्ताह से वायरल के मरीज बढ़ रहे है, जिनमें जांच में अलग – अलग प्रकार का संक्रमण पाया जा रहा है।
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के चिकित्सा अधीक्षक व संक्रामक रोग विशेषज्ञ डा. ंिहमांशु का कहना है कि इस मौसम में वायरल बुखार के अलावा लेप्टोस्पायरोसिस के मरीज भी लगातार आ रहे है। उन्होंने बताया कि यह बीमारी बैक्टीरियल संक्र मण काफी घातक हो जाती है। उन्होंने बताया वह जानवरों से मनुष्यों में पहुंचता है। उन्होंने बताया कि आम तौर पर चूहों के यूरीन का पानी में विलय हो जाना, गंदा पानी पीने के कारण भी इस बीमारी में पीलिया के अलावा किडनी पर भी असर कर जाता है। उन्होंने बताया कि दूसरी बीमारी स्क्रब टाइफस के चपेट में काफी लोग आ रहे है। यह जीवाणु संक्रमण है, जो कि वायरल माइट्स के काटने से फैलता है। अक्सर बरसात में उगने वाली वनस्पतियों पर घुन बस जाते है। वैज्ञानिकों ने जलाऊ लकड़ी पर इस घुन को पाये जाने के लिए चिह्नित किया है। इनके प्रयोग के दौरान बच्चे व अन्य इसको छूते है आैर संक्रमित हो जाते है। डा. डी हिंमाशु बताते है कि अन्य बीमारियों चिकुन गुनिया, मलेरिया अन्य वायरल डिजीज के मरीज लगातार आ रहे है। उन्होंने बताया कि तेज बुखार के दौरान जांच में अगर तेजी से प्लेटलेट्स कम होने लगे तो यह लक्षण डेंगू के बुखार के अलावा अन्य बीमारियों के भी हो सकते है। तत्काल विशेषज्ञ डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ डा. कौसर उस्मान का कहना है कि डेंगू, स्क्रब टाइफस के लेप्टोस्पायरोसिस के मरीज भी ओपीडी में पहुंच रहे है। इनकी गहन जांच कराकर पुष्टि की जा रही है। उन्होंने बताया कि तेज बुखार बुखार में अंाखों में लाली या कपकपांहट लगाना, ठंड लगना व जांच में प्लेटलेट्स का तेजी से कम होने पर खुद इलाज करके विशेषज्ञ डाक्टरों से परामर्श लेनी चाहिए।
बताते चले कि केजीएमयू ओपीडी में इलाज के लिए आरटीपीसीआर जांच आवश्यक है, इस लिए मरीज कम आ रहे है। इसी प्रकार लोहिया संस्थान में वायरल डिजीज के मरीज तेजी से आ रहे है। परन्तु आरटीपीसीआर जांच कराने के झंझट में न पड़ कर काफी संख्या में मरीज निजी क्लीनिक व अस्पताल में जा रहे है।

Previous articleगारमिन रन का आयोजन,100 प्रतिभागियों ने लिया भाग
Next articleफिरोजाबाद जान बचाने पहुंच रही है केजीएमयू से प्लेटलेट्स

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here