लखनऊ । प्रदेश सरकार दवा व्यवसायियों की समस्याओं को प्राथमिकता से निदान करेगी, लेकिन समस्या का समाधान वार्ता से ही हो सकता है। यह बात प्रदेश सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री डा.महेन्द्र सिंह ने रविवार को फैजाबाद रोड स्थित रिसार्ट में केमिस्ट एण्ड ड्रगिस्ट फेडरेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कही। कार्यक्रम में दवा व्यापारियों ने दवा की कमी आैर उनके कारण हो रही दिक्कतों पर भी चर्चा की।
स्वास्थ्य राज्यमंत्री डा. सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार यह मानती है कि दवा का कारोबार करने वाले व्यापारियों द्वारा सिर्फ व्यापार नहीं किया जाता ,बल्कि जनता को नयी अपडेट दवाएं भी मुहैया कराने में महत्वपूर्ण योगदान होता है। दवा खाने के तरीके व उससे होने वाले फायदे नुकसान को मरीज जब डाक्टर से नहीं ले पाता जब कि,उसको दवा विक्रेता ही दवा खाने की सही जानकारी समझा देता है। ऐसे में सरकार की मंशा है कि दवा व्यापारियों को सहुलियत मिले। दवा बनाने वाली कंपनियों से ज्यादा जिम्मेदारी का काम दवा व्यापारी करते हैं। इसलिए हमारी प्राथमिकता की है कि इन्हें अच्छी व्यवस्था मिले।
केमिस्ट एण्ड ड्रगिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष दिवाकर सिंह ने कहा कि सरकार की मंशा ठीक है,लेकिन विभागीय अधिकरी व्यापारियों को जीने नहीं देते। विभागीय अधिकारी इंसपेक्टर राज को बढ़ावा देते हैं। जिससे व्यापारियों का शोषण हो रहा है। बीते दिसम्बर माह से पोर्टल नहीं खुल पा रहा है,जिससे दवा व्यापार का चालान नहीं बन पा रहा है, जिसके कारण दवा कंपनियां दवाओं की सप्लाई नहीं दे रही हैं।
उन्होंने कहा कि पहले पांच साल बाद लाइसेंस रिनीवल करना पड़ता था। लेकिन रिनीवल की जगह अब चालान फार्म जमा करना है,लेकिन चालान फार्म भरने से पहले पोर्टल पर 20 तरह के कागजात डालने पड़ेंगे। उसके बाद फार्म आता है,जिसकों भरने के बाद ही रशीद मिलती है। अब जब पोर्टल ही नहीं चल रहा है तो चालान फार्म कैसे भरा जाये। चालान फार्म न भर जाने के कारण गंभीर बीमारियों हार्ट,कैंसर ,एचआईवी तथा अस्थमा की दवाओं की कमी बढ़ती जा रही है।
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