लखनऊ। शिशु जन्म के तुरन्त बाद लगने वाला बीसीजी यानी बेसिलस कामेट गुएरिन का टीका कोरोना जैसे खतरनाक वायरस के संक्रमण से बचाव किया जा सकता है। कुछ देशों के विशेषज्ञों अलग-अलग शोध में पाया है कि जिन देश के लोगों को यह टीका लगा है उन्हें कोरोना संक्रमण का ातरा कम हो जाता है।
न्यूयॉर्क इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के डिपार्टमेंट ऑफ बायोमेडिकल साइंसेस की स्टडी से डॉक्टर भी इत्तेफाक र ाते हैं। केजीएमयू के कोरोना नोडल सेंटर के प्रभारी डा. डी.हिमांशु का कहना है कि बीसीजी जिसका पूरा नाम है बेसिलस कामेट गुएरिन। बीसीजी को जन्म के बाद से छह महीने के बीच लगाया जाता है। उनका मानना है कि इस टीके में ऐसे एंटीबॉडीज होते हैं जो सांस से जुड़ी बीमारियों को रोकने में सक्षम होते हैं। हालांकि उनका कहना है कि एेसा मान लेना जल्दबाजी हो सकती है। हो सकता है कि बीसीजी कोरोनावायरस से लंबे समय तक सुरक्षा दे ,लेकिन इसके लिए ट्रायल करने होंगे। वह बताते हैं कि कई देशों ने हेल्थ वर्कर्स को बीसीजी का टीका लगाकर ह्यूमन ट्रायल शुरू कर दिया है इससे दे ाा जायेगा कि क्या इस टीके से हेल्थ वर्कर्स का इ यून सिस्टम कितना मजबूत होता है।
बताते चलें कि न्यूयॉर्क इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के डिपार्टमेंट ऑफ बायोमेडिकल साइंसेस की एक स्टडी 21 मार्च को सामने आई। जिसमें मकसद बीसीजी वैक्सीनेशन और इसके कोरोना पर असर का पता लगाना था। इसमें बिना बीसीजी वैक्सीनेशन पॉलिसी वाले इटली, अमेरिका, लेबनान, नीदरलैंड और बेल्जियम जैसे देशों की तुलना जापान, ब्राजील, चीन जैसे देशों से की गई, जहां बीसीजी वैक्सीनेशन की पॉलिसी है। हालांकि भारत देश इसमें शामिल नहीं था। लेकिन यहां पर भी बीसीजी का टीका वैक्सीनेशन पॉलिसी में लंबे समय से शामिल होता आया है। इसमें चीन को अपवाद माना गया क्योंकि कोरोना की शुरुआत इसी देश से हुई थी। वैज्ञानिकों ने पाया कि बीसीजी वैक्सीनेशन से वायरल इन्फेक्शंस और सेप्सिस जैसी बीमारियों से लडऩे में मदद मिलती है। इससे ये उ मीदें जागी कि कोरोना से जुड़े मामलों में बीसीजी वैक्सीनेशन अहम भूमिका निभा सकता है।
कारण, जिन देशों में बीसीजी वैक्सीनेशन हो रहा हैए वहां कोरोना की वजह से मौत के मामले में कम हैं। जहां बीसीजी की शुरुआत जल्दी हुई, वहां कोरोना से मौतों के मामले और भी कम सामने आए। जैसे ब्राजील ने 1920 और जापान ने 1947 में बीसीजी का वैक्सीनेशन शुरू कर लिया था। यहां कोरोना फैलने का खतरा 10 गुना कम है। वहींए ईरान में 1984 बीसीजी का टीका लगना शुरू हुआ। इससे ये माना जा रहा है कि ईरान में 36 साल तक की उम्र के लोगों को टीका लगा हुआ है लेकिन बुजुर्गों को यह टीका नहीं लगा है। इस वजह से उनमें कोरोना का खतरा ज्यादा हो सकता है। वहीं जिन देशों में बीसीजी वैक्सीनेशन नहीं है ,वहां संक्रमण के मामले और मौतें भी ज्यादा हैं। ऐसे देशों में अमेरिका, इटली, लेबनान, बेल्जियम और नीदरलैंड शामिल हैए जहां कोरोना के फैलने का खतरा 4 गुना ज्यादा है।
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