लखनऊ। लगातार दर्द से परेशान रहने वाले लोगों के लिए गोमती नगर स्थित डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में आधुनिक तकनीक कूल्ड रेडियोफ्रिक्वेंसी एब्लेशन थेरेपी से इलाज शुरू कर दिया गया है। अब यहां लम्बे समय से कमर दर्द, घुटने के दर्द से बेहाल मरीजों का इस थेरेपी से इलाज हो सकेगा। इस थेरेपी से इलाज के बाद मरीज को कई वर्षो तक दर्द का सामना करना नहीं होगा। इस दौरान अगर मरीज डाक्टर के निर्देशों को पालन करता है, तो दर्द से परेशान नहीं होगा। प्रदेश के सरकारी अस्पताल में यह दूसरी मशीन लगायी जा रही है।
लोहिया संस्थान के एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख डॉ. दीपक मालवीय ने बताया कि कूल्ड रेडियोफ्रिक्वेंसी एब्लेशन मशीन जल्द ही लग जाएगी। मशीन क्रय के लिए पिछली छह अक्टूबर को टेंडर की प्रक्रिया अन्तिम चरण में हैं। मशीन खरीदने के बाद पेन मेडिसिन यूनिट में लगाया जाएगा। यूनिट के प्रभारी डॉ. अनुराग अग्रवाल का कहना है कि अभी तक संस्थान में दर्द का इलाज सामान्य रेडियोफ्रिक्वेंसी मशीन से इलाज किया जाता रहा है। नयी तकनीक प्रयोग से इलाज के बाद दर्द से परेशानी करीब दो वर्ष तक दोबारा नहीं होती है। कूल्ड रेडियोफ्रिक्वेंसी एब्लेशन मशीन से इलाज के बाद समस्या चार से पांच साल के लिए दूर हो जाएगी। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि कूल्ड रेडियोफ्रिक्वेंसी एब्लेशन मशीन अभी तक प्रदेश में सिर्फ पीजीआई में ही मौजूद है। अब लोहिया संस्थान में भी यह मशीन स्थापित हो रही है। इस मशीन में प्रयोग होने वाली किट काफी मंहगी आती है। इस लिए मरीज के इलाज में लगभग 25 से 80 हजार रुपये तक खर्च होंगे। निजी अस्पताल इसके लिए तीन लाख रुपये तक खर्च आता है।
उन्होंने बताया कि इस थेरेपी का प्रयोग कमर दर्द, घुटने में दर्द, हिप, फ्रोजन शोल्डर, सियाटिका, स्लिप डिस्क, गठिया, आस्टियोपोरोसिस के साथ उसके फ्रैक्चर, कैंसर के दर्द, सर्वाइकल पेन व ट्राइजेमाइनल न्यूरेल्जियम आदि में किया जा सकता है। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि मिनमली इंवेजिव पेन एंड स्पाइन फिजीशियन तकनीक से किया जाता है। इस तकनीक में मरीज के शरीर के उस हिस्से में जहां दिक्कत होगी वहां एक की-होल यानि छोटा सा छेद किया जाता है। उसमें इंडोस्कोप पोर्ट डाली जाती है। इसमें कैमरा व एक उपकरण शरीर में जाता है और सम्बन्धित नसों व नर्व का इलाज किया जाता है। मरीज इलाज के बाद उसी दिन अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है। उन्होंने बताया कि मशीन से कैनुला के अंदर वाटर चैनल चलता है जो रेडियोफ्रिक्वेंसी कैनुला में सर्कुलेट होता रहता है। इसी से दर्द होना बंद हो जाता है।