लखनऊ। यदि किसी व्यक्ति को उलझन महसूस होने के साथ बेहोशी आ रही है। इसके साथ ही सांस लेने में दिक्कत हो रही है। यह हार्ट और हेड दोनों की जटिल बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। इलाज में लापरवाही दिक्कत हो सकती है।
समय पर सही इलाज से मरीज की जान बच सकती है। यह बात डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग प्रमुख डॉ. शिव शंकर त्रिपाठी ने सोमवार को इमरजेंसी मेडिसिन पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए कही। संस्थान के निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने कार्यशाला का शुभारंभ किया।
लोहिया संस्थान में आयोजित कार्यशाला में डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि यदि कोई अचानक बेहोश हो गया है। उसकी आवाज लड़खड़ाने लगी है।
एक तरफ का चेहरा टेढ़ा हो गया तो यह स्ट्रोक के लक्षण होते है। इसी प्रकार चेस्ट पेन, सांस लेने में दिक्कत और हार्ट बीट बढ़ने पर डॉक्टर की परामर्श लेना चाहिए। समय पर सही इलाज से मरीज की जान बच सकती है। इन लक्षणों को इमरजेंसी में तैनात डॉक्टरों तत्काल पहचानना चाहिए। तत्काल आवश्यक जांचें कराये, ताकि जल्द से जल्द मरीजों को सही इलाज दिया जा सके।
संस्थान के निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने कहा कि इमरजेंसी मेडिसिन का कार्यक्षेत्र लगातार अपडेट हो रहा है। ऐसे में डॉक्टर खुद को अपग्रेड करें। इमरजेंसी मेडिसिन के डॉक्टरों को लक्षण के आधार पर लाइन आफ ट्रीटमेंट चूक नहीं करनी चाहिए। तेज बुखार या हाथ पैर ठंडे हो रहे हैं तो तुरंत इलाज कराना चाहिए। सीएमएस डॉ. विक्रम सिंह ने कहा कि आधुनिक तकनीक से इमरजेंसी में आने वाले मरीज को अब बेड पर सीटी, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड जैसी सुविधाएं मिल पा रही हैं। पैथोलॉजी जांचें भी तुरंत हो रही हैं।
इनके रिजल्ट आधार पर लाइन आफ ट्रीटमेंट तय किया जा सकता है। डॉ. राजीव रतन सिंह यादव ने कहा कि यदि घायल बेहोश नहीं है, तो तीन अंग इसमें गर्दन, छाती और पैल्विश अंगों का एक्सरे करा लेना चाहिए। गर्दन में चोट का पता चलते ही उसका मूवमेंट रोक दे, वरना इंजरी गंभीर हो सकती है। पैल्विस में ब्लड का रिसाव घातक हो सकता है। अत्याधिक ब्लीडिंग होने से मरीज शॉक में आ सकता है। छाती का एक्सरे जांच भी जरूरी है। कार्यक्रम में डॉ. आशिमा शर्मा, डॉ. उत्कर्ष श्रीवास्तव समेत लगभग 80 छात्र विभिन्न संस्थानों से भी भाग लिया।
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