लखनऊ। चक गंजरिया स्थित कैंसर संस्थान में विशेषज्ञ डाक्टर नौकरी से इस्तीफा देने लगे है। यहां पर महत्वपूर्ण विभाग माइक्रोबायोलॉजी की एक मात्र विशेषज्ञ डॉक्टर पारुल जैन ने संस्थान को छोड़ दिया है। यहां से नौकरी को अलविदा कहने के बाद उन्होंने किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के माइक्राबायोलॉजी विभाग में ज्वाइन कर ली है।
अब डॉ. पारूल जैन के जाने से कैंसर संस्थान में तकनीकी दिक्कतें होने लगी हंै। पहला तो माइक्रोबायोलॉजी विभाग ही बंद हो गया है। ऐसे में संस्थान को मरीजों के इलाज में अन्य प्रक्रिया में दिक्कतों का सामना करना होगा। वर्तमान में एक भी अन्य डॉक्टर विभाग में नहीं हैं। सबसे बड़ी संकट तो संस्थान को संक्रमण से बचाने में आ रहा है कि किस तरह बैक्टीरियल व फंगस की जांच की जाएगी। क्योंकि कैंसर के मरीज को आैर उनमें अन्य संक्रमण की ज्यादा संभावना होती है।
इसके अलावा संस्थान शुरु होने के बाद एंटीबायोटिक दवाओं के प्रयोग करने की रणनीति कैसे तैयार होंगी। एंटीबायटिक दवाओं के प्रयोग की नीति बनाना सभी चिकित्सा संस्थानों की प्रमुख कार्य होता है। अगर देखा जाए तो वर्तमान में कैंसर संस्थान में 20 डॉक्टर कार्यरत हैं।
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