लखनऊ। पीजीआई में जल्द ही बर्न यूनिट स्थापित होगी। यहां आग से जले और झुलसे मरीजों का इलाज मिलेगा। प्लास्टिक सर्जरी विभाग के अधीन बर्न यूनिट काम करेगी। प्लास्टिक सर्जरी विभाग में डॉक्टर और रेजिडेंट की संख्या बढ़ायी जाएगी। यह बातें शनिवार को पीजीआई निदेशक डॉ. आरके धीमान ने प्लास्टिक सर्जरी विभाग के स्थापना दिवस एवं एडवांस ट्रामा पर आयोजित सीएमई में कहीं।
प्लास्टिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. राजीव अग्रवाल ने कहा की रोड साइड पर एक्सीडेंट के मरीजों में लगातार बढोतरी होती जा रहीं हैं ऐसे में ट्रामासेंटर को रोड साइड पर ज्यादा संख्या में खुलने चाहिए और ट्रामा में एक्सीडेंट के मरीजों का इलाज में प्लास्टिक सर्जनों का अहम रोल होता हैं।हाथ पैरों तथा ऑखों के तथा स्कीन की ग्राफाटिक प्लास्टिक सर्जन ही इलाज करते हैं आज के समय में एक्सीडेंट के मरीज समय पर ट्रामासेंटर पर पहुंच जाने पर मरीज की जान बच सकती हैं इसलिए रोड साइड पर ट्रामासेंटर होना आवश्यक हैं,और इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्लास्टिक सर्जन के अध्यक्ष प्रो. हरी वेंकटरमानी ने बताया कि सड़क हादसे में चेहरे की चोट से क्षतिग्रस्त नसों का इलाज संभव हो गया है।
फेशियल नर्व को सर्जरी व दूसरे अंग की नर्व लेकर प्रत्यारोपित कर मरीज को ठीक किया जा सकता है। यह काम प्लास्टिक सर्जन ही कर सकते हैं। अन्य विभाग के डॉक्टर नहीं कर सकते हैं। नर्व क्षतिग्रस्त होने से चेहरे की संवेदनशीलता व हावभाव की परेशानी दूर की जा सकती है। नाक की हड्डियां टूटने पर दूसरे अंग से हड्डी लेकर बोन ग्राफ्ट करते हैं। इस मौके पर विभाग प्रो. अंकुर भटनागर, प्रो. अनुपमा, डा,राजीव भारती, डा. निखलेश ने प्लास्टिक सर्जरी के भूमिका के बारे में जानकारी दी।
इस अवसर पर संस्थान के प्लास्टिक विभाग के नर्सिंग वार्ड की निशा पांडेय, श्रीकांत एवं नर्सिग ओटी से दिलीप कुमार, प्रतिभा सिंह तथा
नर्सिंग ओपीडी ड्रेसिंग की साधना मिश्रा आफिशयल स्टाफ- मनोज कुमार को सम्मानित किया गया।
्