लखनऊ। ब्रेस्ट कैंसर के इलाज का असर नयी दवाएं या कीमोथेरेपी से अब गर्भावस्था पर नहीं पड़ेगा। यह जानकारी दिल्ली की डॉ. स्वाति ने केजीएमयू के इंडोक्राइन सर्जरी विभाग द्वारा आयोजित ब्रेस्ट कैंसर अपडेट वर्कशाप के आयोजन में दी। उन्होंने कहा कि नई दवाएं या कीमोथेरेपी ओवरी पर प्रभाव नहीं डालती हैं।
डॉ. स्वाति ने कहा कि आईवीएफ तकनीक से ब्रेस्ट कैंसर का इलाज शुरू करने से पहले महिलाओं के अंडकोश को सुरक्षित कर सकते हैं, क्योंकि कैंसर के इलाज के बाद ओवरी असर हो सकता है, फिर भी मरीज मातृत्व सुख प्राप्त कर सकती हैं।
दिल्ली के डॉ अरुण गोयल ने बताया कि ब्रोस्ट कैंसर से पीड़ित 50 प्रतिशत महिलाओं में सही इलाज न मिलने पर डेथ हो जाती है। विदेश में इस का प्रतिशत मात्र 15-20 प्रतिशत है। महिलाएं स्तन की गांठ को शुरु में नजरअंदाज करती हैं। शर्म और झिझक की वजह से वह डॉक्टर के पास नहीं जाती है। शुरुआती स्टेज में यदि महिला स्तन कैंसर का इलाज करा लें तो 95 फीसदी बीमारी ठीक हो सकती है। केजीएमयू के इंडोक्राइन सर्जरी विभाग के प्रमुख डा. आनंद मिश्रा ने कहा कि ब्रोस्ट कैंसर का शुरू में इलाज करके नयी दवाओं के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा सर्जरी भी आधुनिक तकनीक से की जा रही है। डा. कुलरंजन ने बताया की कार्यक्रम में ब्रोस्ट कैंसर की नयी दवाओं व सर्जरी की नयी तकनीक की जानकारी डाक्टरों को दी गयी।