उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का खस्ताहाल व आये दिन हो रही लापरवाही के चलते मौत की घटनाओं पर शायद विभाग का प्रशासन ही जिम्मेदार कहा जा सकता है। कहीं लापरवाह व अनिमितता बरतने वालों को अहम जिम्मेदारी सौंप दी जाती है तो कहीं अपने रसूख के दम पर चिकित्सक तबादला आदेश को भी मानने से भी इंकार कर देते हैं। समाज के लिए सर्वाधिक महत्व रखने वाले स्वास्थ्य विभाग में हेराफेरी व भ्रष्टïाचार इस कदर हावी है कि राजधानी में तैनात चिकित्सक सीधे स्वास्थ्य मंत्री तक अपनी पहुंच दिखाकर तबादला आदेश पर भी तैनाती लेने को तैयार नहीं।
यही नहीं चिकित्सक के विरूद्व अनियमितताओं की जांच शासन द्वारा संज्ञान में लेने के बावजूद अपर निदेशक जांच पूरी करने में शिथिलता बरत रहे हैं। राजधानी स्थित भाउराव देवरस अस्पताल में मौजूदा समय में दो-दो मुख्य चिकित्सा अधीक्षक तैनात है। जबकि एक चिकित्सक का तबादला बीते १० अगस्त को गोण्डा चिकित्सालय में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के पद पर हो चुका है। वहीं दूसरे चिकित्सक भी सीतापुर से महानगर भाउराव देवरस अस्पताल में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के पद पर तैनाती ले चुके हैं।
डॉ.अनिल कुमार श्रीवास्तव का मुख्य चिकित्सा अघीक्षके महानगर स्थित भाउराव देवरस अस्पताल से गोण्डा चिकित्सालय मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के पद पर हो चुका है। वहीं सीतापुर से आये डॉ.शेखर भरद्वाज ने भाउराव देवरस अस्पताल में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के पद पर तैनाती ले ली है। लेकिन डॉ.अनिल कुमार श्रीवास्तव भाउराव देवरस अस्पताल का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। हालात यह है कि अभी तक डॉ.अनिल कुमार श्रीवास्तव ने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का कमरा तक नहीं छोड़ा है। इसके चलते डॉ.शेखर भरद्वाज अस्पताल को अस्पताल में बैठने के लिए दूसरे चिकित्सकों के कमरे का सहारा लेना पड़ रहा है।
सूत्र बताते है कि कई बार दोनो अधिकारियों के बीच गहमा गहमी भी हो चुकी है,लेकिन डॉ.अनिल कुमार श्रीवास्तव अपने रसूख के डॉ.शेखर को दबा दे रहे हैं। कई बार तो मंत्री का नाम लेकर धमका भी चुके हैं। बीते १५ दिन तक तो अस्पताल के कर्मचारी असमंजस की स्थिति में रहे कि किस अधिकारी का कहना माने और किसका न माने।
डॉ.अनिल पर लग चुका है अनिमितता का दाग
दागी चिकित्सक जबरन आज भी सरकार के आदेशों को दरकिनार कर भाउराव देवरस अस्तपताल में जमा बैठा है। अपनी पहुंच की बात बताकर लोगों पर रौब भी गांठता है। डॉ अनिल कुमार श्रीवास्तव पर अनिमितता के आरोप भी लग चुके हैं,लेकिन अपनी ऊंची पहुंच व दबंगई के चलते अधिकारियों को भी अदब में ले चुका है। जिसके चलते जांच का निष्कर्ष क्या निकला उसका पता भी नहीं चला है।
सूत्रों की माने तो अवधेश कुमार पाण्डेय विशेष सचिव उत्तर प्रदेश शासन की तरफ से ४ जुलाई को एक पत्र अपर निदेशक स्वास्थ्य सेवा लखनऊ मण्डल को भेजा गया । जिसमें अपर निदेशक से कहा गया कि डॉ.अनिल कुमार श्रीवास्तव मुख्य चिकित्सा अधीक्षक बीआरडी चिकित्सालय द्वारा की गयी अनियमितताओं की जांच के मामले में तथ्यात्मक आख्या उपलब्ध कराने के आदेश दिये गये थे। लेकिन चार माह का समय बीत जाने के बाद भी कोई आख्या नहीं उपलब्ध कराई गयी। इसके बाद इस मामले में क्या हुआ यह भी कोई अधिकारी बताने को तैयार नहीं है।