लखनऊ। जो लोग समय-समय पर लगातार ब्लड डोनेशन करते रहते है। उनका स्वास्थ्य अन्य के मुकाबले ज्यादा बेहतर रहती है। ब्लड डोनेशन करने से एचआईवी, हेपेटाइटिस जैसे संक्रमण है, तो शुरूआत में पता चल सकता है आैर इलाज संभव है। यह बात शनिवार को राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस पर किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की प्रमुख डॉ. तूलिका चंद्रा ने कही।
उन्होंने कहा कि कार्डियक डिजीज की बीमारियों का खतरा भी पांच प्रतिशत तक कम हो जाता है। इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसमें मेडिकोज ने भी भाग लिया।
शताब्दी स्थित प्रेक्षागृह में आयोजन कार्यक्रम में डॉ. तूलिका चन्द्रा ने कहा कि ब्लड डोनेशन करने वालों को हार्ट अटैक पड़ने की आशंका पांच प्रतिशत तक कम होती है। उन्होंने कहा कि ब्लड डोनेशन करने से बोनमैरो एक्टिव हो जाता है। नयी ब्लड सेल्स का निर्माण होता है। इससे मरीज स्वस्थ्य रहता है। वहीं दूसरी तरह ब्लड डोनेशन से जरूरतमंद मरीजों की जान बचायी जा सकती है।
डॉ. तूलिका चन्द्रा ने कहा कि ब्लड किसी फैक्ट्री में नहीं बनाया जा सकता है। एक ब्लड डोनेशन से चार मरीजों की जान बचायी जा सकती है। कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने कहा कि यदि भारतवर्ष की महज दो फीसदी आबादी भी नियमित रक्तदान करे तो ब्लड के संकट से आसानी से निपटा जा सकता है। उन्होंने बताया कि पुरुष हर तीन व महिला चार माह में रक्तदान कर सकती है। कार्यक्रम में सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार, डॉ. बीके ओझा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।