मल्टीपल फंगस के आधा दर्जन से ज्यादा मरीज मिल चुके है पीजीआई में
लखनऊ। राजधानी में ब्लैक फंगस के साथ ही एसपरजिलोसिस फंगस भी मरीजों में संक्रमण फैला रहा है। इस मल्टीपल फंगस के मिलने से इलाज कर रहे डाक्टर आश्चर्यचकित है, हालांकि डाक्टरों का मानना है कि दोनों का फंगस का इलाज एक प्रक्रिया के द्वारा किया जाता है। पीजीआई में अब तक सात से ज्यादा मरीजों में मल्टीपल फंगस मिल चुके है। इसके अलावा केजीएमयू में भी एसपरजिलोसिस फंगस के मरीज मिल रहे है।
कोरोना संक्रमण के बाद अभी तक ब्लैक फंगस के मरीज कम नहीं हो रहे है। अब ब्लैक फंगस के साथ ही एसपरजिलोसिस फंगस मिलने से इलाज कर रहे डाक्टर आश्चर्यचकित है। विशेषज्ञों का मानना है कि अब मरीजों की जांच रिपोर्ट का गहना अध्ययन किया जा रहा है,ताकि मरीजों में एसपरजिलोसिस फंगस का संक्रमण न हो। पीजीआई में ब्लैक फंगस संक्रमण के नोडल अधिकारी डा. अमित केशरी का कहना है कि पिछले समय से मल्टीपल फंगस के मरीजों की पुष्टि हो रही है। ब्लैक फंगस के एसपरजिलोसिस फंगस भी पाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मरीजों की जांच रिपोर्ट को देखने पर तत्काल ब्लैक फंगस की पुष्टि हो गयी, लेकिन अब प्रकार के फंगस की मौजूदगी की संभावना पर जांच करायी गयी तो पाया गया कि एसपरजिलोसिस फंगस भी साथ ही में मौजूद था। अब तक आधा दर्जन से ज्यादा मरीजों में मल्टी पल फंगस का संक्रमण मिल चुका है। उन्होंने बताया तक दोनों प्रकार के फंगस के इलाज एक ही प्रकार से किया जाता है, लेकिन म्यूकर माइकोसिस फंगस तेजी से संक्रमण फैलाता है आैर एसपरजिलोसिस फंगस धीमे धीमे संक्रमण फैलाता है, लेकिन घातक असर करता है।
इन दोनों मल्टीपल फंगस का पोस्ट कोविड मरीजों में मिलने पर चिकित्सा विशेषज्ञ इस मंथन में जुट गए हैं कि प्रतिरक्षा तंत्र के कमजोर होने पर कौन-कौन से फंगस हमला कर सकते हैं।
केजीएमयू के विशेषज्ञों की माने तो एसपरजिलोसिस का एक मरीज पिछले साल मिला था। इस बार बड़ी संख्या में आईसीयू में गंभीर मरीज भर्ती हुए हैं। एसपरजिलोसिस की आशंका को देखते हुए लक्षण वाले मरीजों की जांच कराई गई तो उनमें पुष्टि हुई है। कई अन्य मरीजों में भी एसपरजिलोसिस पाया गया है। खासतौर से लंबे समय से फेफड़ों की बीमारी से ग्रसित रहने वाले और कीमोथेरेपी करने वाले मरीजों को लेकर बेहद चौकन्ना रहना होगा। क्योंकि इन मरीजों पर फंगस का हमला ज्यादा होता है। कई बार एसपरजिलोसिस फंगस फेफड़े के अंदर छेद बना देता है। कोरोना संक्रमण को मात देने वाले मरीजों में इम्यूनिटी काफी कमजोर होती है। ऐसे में घर से लेकर बाहर तक हाइजीन अपनाने की जरूरत है। मरीज की समय-समय पर कल्चर जांच कराएं। ब्लड शुगर कंट्रोल रखे। अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर पहुंचे हैं तो धूल वाली जगह या खेत में जाने से बचे। ठीक होने के बाद भी मास्क लगाते रहे।