लापरवाही : बिना ब्लाकेज के स्टंट डालने की कोशिश

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता से लॉरी कार्डियोलॉजी विभाग में मरीजों संग लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही है। मंगलवार को कार्डियक पेन की शिकायत लेकर पहुंचे। जांच के बाद मरीज के हार्ट में ब्लॉकेज बताकर सर्जरी के लिए शुल्क जमा कराया आैर सर्जरी कर दी। तीमारदार सन्नाटे में तब रह गये, जब मरीज को ओटी में सर्जरी स्टंट डालने की प्रक्रिया शुरू की गयी। इस दौरान कोई ब्लॉकेज नहीं मिला, तो स्टंट भी नहीं लगाया। जब तीमारदारों ने डाक्टरों की जांच प्रक्रिया पर आक्रोश प्रकट किया, तो शुल्क वापस कर मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया।

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आशियाना निवासी विमलेश को अचानक चेस्ट पेन होने दर्द उठने पर मंगलवार को परिजन आनन-फानन में केजीएमयू की लॉरीकार्डियोलॉजी इमरजेंसी लेकर पहुंचे। यहां पर डॉक्टरों ने मरीज की ईसीजी जांच करायी। इसके आधार पर मरीज को हार्ट में ब्लॉकेज बता दिया। हांलाकि मरीज की एंजियोग्राफी तक नहीं करायी गयी। परिजनों को ब्लॉकेज खोलने के लिए हजारों रुपए का खर्च बताया। सर्जरी की प्रक्रिया की शुरू आत करते हुए सर्जरी के लिए मरीज को इंजेक्शन समेत अन्य दवाएं दी गयी। परिजनों का आरोप है कि बिना एंजियोग्राफी जांच ही डॉक्टरों ने मरीज को हार्ट ब्लॉकेज बता दिया गया। परिजनों का आरोप है कि हार्ट में ब्लॉकेज खोलने के लिए उसे ओटी में ले गये आैर सर्जिकल प्रक्रिया शुरू करते हुए स्टंट डाला गया।

इस प्रक्रिया में डाक्टरों को कोई भी ब्लॉकेज न मिलने पर ओटी से वापस भेज दिया गया। डॉक्टरों ने दोबारा कोई भी ब्लॉकेज न होने पर परेशान हो गये। इसके बाद डॉक्टरोंं ने मरीज की एंजियोग्राफी की, तो वह रिपोर्ट नॉर्मल आयी। आनन-फानन में डॉक्टरों ने जमा शुल्क भी वापस कर दिया आैर मरीज को डिस्चार्ज कर दिया। लॉरीकार्डियोंलॉजी के प्रवक्ता डॉ. अक्षय प्रधान का कहना है कि कई बार मरीजों को दी जाने वाली दवाओं से भी ब्लॉकेज खुल जाते हैं। यहीं नहीं एंजियोग्राफी के दस प्रतिशत मामलों में ब्लॉकेज का सटीक पता नहीं चलता है। ऐसे में मरीज के दर्द होने पर स्टंट डालना पड़ता है।

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