इस कारण टीबी के गंभीर मरीजों को नहीं मिल पा रहा सटीक इलाज

0
508

 

Advertisement

 

 

 

लखनऊ। राजधानी में गंभीर टीबी के मरीजों की जांच नहीं हो पा रही है। दरअसल ट्रूनॉट जांच में प्रयोग होने रीजेंट ( केमिकल) न होने से मरीजों की जांच नहीं हो पा रही हैं। सामान्य जांच की रिपोर्ट पर ही टीबी मरीजों को दवा दी जा रही है।

 

 

 

 

 

टीबी की सटीक पहचान के लिए तीन तरह की जांच होती है। पहला जांच में माइक्रोस्कोपिक, दूसरी ट्रूनॉट और तीसरा सीबीनॉट जांच की जाती है। यह तीनों जांच बलगम से ही की जाती है। माइक्रोस्कोपिक जांच सामान्य टीबी के लक्षण लगने पर की जाती है, जब कोई मरीज बार-बार टीबी का इलाज नहीं करता है, तो टीबी की बीमारी जटिल हो जाती है। मरीज में ड्रग रजिस्टेंट हो जाती है। इससे मरीज एमडीआर या फिर एक्सडीआर से पीड़ित हो जाता है। इसकी सटीक पता लगाने के लिए ट्रूनॉट या फिर सीबी नॉट जांच होती है।

 

 

 

 

राजधानी के लगभग तेरह सेंटरों में ट्रूनॉट जांच होती है। बताया जाता है कि लगभग तीन महीने ट्रूनॉट जांच में प्रयोग होने वाला रीजेंट ही नहीं आ रहा है। इससे गंभीर मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में एमडीआर या फिर एक्सडीआर टीबी का पता लगाने में परेशानी हो रही है। माइक्रोस्कोपिक जांच के आधार पर मरीजों को सामान्य टीबी की दवा दी जा रही है।

Previous articleKgmu: मरीजों को सस्ती दवा मिलें, दिये नये निर्देश
Next articleवर्ष 2023 में इस बीमारी को खत्म करने का लक्ष्य: डिप्टी सीएम बृजेश पाठक

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here