लखनऊ। 63वें ऑल इंडिया आब्सटेट्रिक्स एंड गाइनोकोलॉजी (एआईसीओजी 2020) के चौथे दिन विशेषज्ञ डाक्टरों ने महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं पर क्लीनिकल जानकारी दी। यहां पर विशेषज्ञ डॉ. आँचल गर्ग ने बताया कि कई बार दम्पत्ति बच्चा ना होने पर हार मानकर चुपचाप बैठ जाते हैं, जबकि उन्हें डॉक्टर से एक बार जरूर मिलना चाहिए। क्योंकि हर बार शुक्राणु नहीं होने की ही वजह नहीं होती है। कई मामलों में शुक्राणु नली में फंस जाते हैं। जो रुकावट की वजह से बाहर नहीं निकल पाते हैं। इस समस्या का टेस्टिकुलर स्पर्म एस्पेरेशन और टेस्टिकुलर स्पर्म एक्सट्रेक्शन की तकनीकी से इसका निदान किया जा सकता है। इसकी जांच के लिए सीमन एनालिसिस करते हैं। उन्होंने बताया कि 40-40 फीसदी महिला व पुरुष दोनों बांझपन के शिकार होते हैं। दस फीसदी मामलों में दोनों दम्पत्ति इसका शिकार होते हैं, जबकि दस फीसदी में दोष पता नहीं चल पाता है। डॉ. गर्ग ने बताया कि अब महिलाओं के एग को सुरक्षित रखने की भी तकनीक आ चुकी है। इसमें महिलाएं एग को सुरक्षित रख सकती हैं और जब बच्चे की प्लानिंग करनी होती है, तो उसे इंजेक्ट करवाकर गर्भधारण कर सकते हैं।
कानपुर मेडिकल कालेज से आईं डॉ. संगीता आर्य ने बताया कि गर्भवस्था में झटका आना और ब्लीडिंग होना काफी खतरनाक होता है। झटका बीपी की वजह से आता है। इसलिए नियमित चेकप जरूर कराएं। इसके बावजूद अचानक झटके आने लगे, तो बाईं करवट लेट जाएं। उन्होंने इसका कारण बताते हुए कहा कि झटका आने पर पेट की चीजें सांस की नली में आकर फंसने की सम्भावना होती है। इसी वजह से गर्भवती की जान खतरे में चली जाती है। बाईं करवट लेटने पर चीजें उलटी होकर बाहर आ जाती हैं। सांस नली में नहीं फंसती है। डॉ. आर्या ने कहा कि पेट दर्द, सिर दर्द, शरीर में सूजन, सिरदर्द, सांस लेने में दिक्कत, पेशाब कम आना ये सब झटके आने की बीमारी के लक्षण हैं।
अहमदाबाद की विशेषज्ञ डॉ. नीता ठाकरे ने बताया कि पेशाब लीकेज की समस्या को अब तक उम्र की समस्या माना जाता है, लेकिन यह समस्या डिलीवरी, मीनोपॉज, स्ट्रेस, मोटापा, डायबिटीज, स्मोकिंग के समय यह दिक्कत आती है। उन्होंने बताया कि एक माइनर आपरेशन से पेशाब के नीचे की जगह पर प्रोलीन लगाकर ढीलेपन को ठीक कर दिया जाता है, जिसके बाद पेशाब लीकेज की समस्या को ख़त्म किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि सबसे बड़ी दिक्कत की बात यह है कि महिलाएं पेशाब लीकेज की समस्या को बीमारी नहीं मानती हैं। इस समस्या से महिला का मनोबल गिरता है। वह अपना सामान्य जीवन नहीं जी पाती है।
डा. नंदिता ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान सुबह- सुबह उल्टी महसूस हो तो घबराएं नहीं। इससे बच्चे को किसी तरह की दिक्कत नहींं होती है। इस स्थिति में पानी अथवा जूस का सेवन न करें। कुछ दिन तक सुबह उठने के बाद ब्राश करें और ड्राईफूड को चबा-चबाकर खाएं। इसके बाद फल खा लें। करीब 10 बजे के बाद पानी पाएं। पानी एक-एक कप आधे-आधे घंटे के अंतराल पर लेते रहें। इस तरह की स्थिति आमतौर पर तीन माह तक रहती है। इसके बाद अपना आप उल्टी आना बंद हो जाती है।
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