लखनऊ। हरदोई से ब्रेन स्ट्रोक के मरीज को लेकर तीमारदार किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय से लेकर लोहिया संस्थान, अस्पतालों की परिक्रमा करते रहे, लेकिन वार्ड फुल या विशेषज्ञों की कमी बताकर वापस कर दिया गया। इसमें करीब आठ घंटे बीत गए। इस दौरान समय पर उपचार न मिलने से गंभीर मरीज की बलरामपुर अस्पताल में उपचार दौरान रविवार दोपहर मौत हो गई। तीमारदारों का आरोप था कि अगर समय पर किसी भी कही भी इलाज शुरू हो जाता, तो शायद जान बच सकती थी। तीमादारों का कहनो है कि घटना की शिकायत स्वास्थ्य मंत्री से करेंगे।
हरदोई हरपालपुर के रहने वाले खुशी राम (45) शनिवार रात करीब आठ बजे पर ब्रेन स्ट्रोक का अटैक पड़ा था। तीमारदार उन्हें लेकर पहले जिला अस्पताल गए। वहां डॉक्टरों ने हालत गंभीर बताकर उन्हें केजीएमयू रेफर कर दिया। यहां पर करीब साढ़े 11 बजे खुशीराम को लेकर तीमारदार ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। जांच पड़ताल कराने में लगभग दो घंटा बीता दिया। जांच आयी तो उसे देखने के बाद बिस्तर न खाली होने का हवाला देकर लोहिया अस्पताल रेफर कर दिंया। तीमारदार निजी एंबुलेंस से लेकर उन्हें लोहिया अस्पताल पहुंचे तो इमरजेंसी के डॉक्टरों ने विशेषज्ञ न होने पर बगल के लोहिया संस्थान भेजा।
लोहिया संस्थान की इमरजेंसी में मरीज को भर्ती नहीं लिया, जिसके बाद तीमारदार सुबह करीब आठ बजे बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी में मरीज को भर्ती करा पाये। यहां पर इमरजेंसी डाक्टर ने मरीज की हालत देख उसे वेंटीलेटर की आवश्यकता बतायी लेकिन तीमारदार उसे दोबारा केजीएमयू ले जाने को राजी नहीं हुए। इस बीच इलाज दौरान ही मरीज की मौत हो गई। तीमारदार राम विलास ने बताया कि समय रहते ही उपचार मिलता तो शायद जान बच सकती थी।
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