लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के नाक कान – गला के डाक्टरों ने आट साल के बच्चे की गले में फंसी सीटी एंडोस्कोपिक सर्जरी करके निकाली। दो घंटे तक चली सर्जरी के बाद सीटी निकाल ली गयी, सीटी श्वसन नली के दाहिने भाग में फंस कर दिक्कत कर रही थी। डा. सुनील ने बताया कि आमतौर पर अभिभावक अपने बच्चों को कुछ ऐसे खिलौने खेलने के लिए दे देते है, जो कि उनके लिए दिक्कत पैदा कर सकते है। ऐसे खिलौने नहीं देना चाहिए।
कुछ ऐसा ही सीतापुर निवासी दीपक राठौर के आठ साल के बेटा आशीष के साथ हुआ। रविवार शाम चार बजे खिलौना खेलने के दौरान वह रोने लगा। जानकारी लेने पर पता चला खिलौने की सीटी निगल गया है। परिजनों ने आशीष की पीठा ठोंका और पानी पिलाया। इसके बाद भी बच्चे को आराम नहीं मिला। आनन-फ ानन में बच्चे को लेकर स्थानीय अस्पताल पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने एक्सरे कराया। जांच में पता चला सांस की नली सीटी अटकी है। इस दौरान बच्चे को सांस लेने में तकलीफ बढ़ गई। रोता-बिलखता आशीष की सांसें अटकने लगी। आनन-फानन परिवारीजन बच्चे को लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे।
ट्रॉमा सेंटर से बच्चे को ईएनटी विभाग भेज दिया गया। यहां बच्चे को भर्ती किया गया। एक्सरे जांच कराई गई तो पता चला कि सीटी श्वसन नली में दिक्कत पैदा रही थी। इसके बाद विभाग के डॉ. सुनील कुमार को इमरजेंसी में फोन कर बुलाया गया। डॉ. वर्मा ने एंडोस्कोपिक ऑपरेशन कर सीटी निकालने का फैसला किया। करीब दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद गले में फंसी सीटी निकाली जा सकी। डॉ. सुनील के मुताबिक सीटी सांस नली के दाहिने हिस्से में फंसी थी।
उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के बाद बच्चे की सेहत में सुधार होने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। सर्जरी करने वाली टीम में ईएनटी विभाग के डॉ. सुनील कुमार के साथ डॉ. प्रियंका, डॉ. अम्पु, डॉ. धीरेंद्र व एनस्थीसिया विभाग के डॉ. अजय चौधरी व डॉ. विजय बहादुर समेत अन्य डॉक्टर मौजूद थे। डॉ. सुनील ने बताया कि पैरामेडिकल स्टाफ टीम ने भी इलाज में अहम भूमिका अदा की है।
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