लखनऊ। बच्चे को अंाख, गले की चोट लग जाये तो घबरायें नहीं बल्कि स्थित के अनुसार विशेषज्ञ के परामर्श से ही इलाज कराना चाहिए। यह बात किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के बाल्य अस्थि शल्य चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.अजय सिंह ने शनिवार को केजीएमयू स्थित अस्थि शल्य चिकित्सा विभाग में आयोजित वल्र्ड बोन एंड ज्वाइंट डे कार्यक्रम में दी। इस आयोजन में उत्तर प्रदेश आर्थोपेडिक एसोसिएशन,लखनऊ आर्थोपेडिक एसोसिएशन तथा इंडियन सोसाइटी ऑफ पीडियाट्रिक्स ट्रॉमाटोलॉजी के सहयोग दिया। इस अवसर पर डा. अजय सिंह लिखी गयी पुस्तक बच्चों की सुरक्षा सम्बधी विशेष जानकारी तथा उपचार का विमोचन भी किया गया।
डा. अजय ने बताया कि बच्चों के हाथ व पैर में कही भी चोट लगने पर तत्काल मालिश नहीं करनी चाहिए। यदि आराम नहीं मिलता है आैर दर्द बढ़ता जाता है तो तत्काल विशेषज्ञ डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने बताया कि बच्चों के नाक या कान में मटर के दाने चले जाने पर उसे स्वयं निकालने की कोशिश नहीं करनी चाहिए,नहीं तो वह और अंदर चले जाते हैं। इस तहर की समस्या आने पर निकटत विशेषज्ञ डाक्टर से परामर्श भी लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि यदि बच्चा सिर के बल गिर जाता है और खून नहीं निकलता है तो घबराये नही। बल्कि डाक्टर से परामर्श लेने के बाद ही इलाज करे।
प्रो.अजय सिंह के मुताबिक बच्चों में चोट लगने की वजह बहुत बार स्पष्ट नहीं हो पाती है। इसका प्रमुख कारण बच्चों के माता पिता में चोट के प्रति जानकारी का अभाव ही रहा होगा। कार्यक्रम में विभाग प्रमुख डा. जीके सिंह, डा.विनीत शर्मा, डा. आर एन श्रीवास्तव सहित अन्य लोग मौजूद थे।